कुपोषण का ब्रांड एंबेसडर परियोजना अधिकारी
-एनआरसी के आंकडे दे रहे गवाही, कुपोषण चरम स्तर पर
-गरीबों बच्चों का राशन बना अधिकारियों का कमीशन
शिवपुरी ब्यूरो। पोहरी अनुविभाग में कुपोषण्या अपने चरम पर है विगत तीन वर्षों से परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास ने अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ किया होता तो शायद गरीबों के बच्चों भी कुपोषण के दंश से अकाल काल के गाल में नहीं समाते, उनका जीवन भी बचाया जा सकता था। गरीबों के लिये आने वाले पोषण आहार पर समूह संचालकों, कार्यकर्ता, सहायिका एवं परियोजना आधिकारी कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी कमीशन के रूप में डकार रहे हैं जबकि आज भी ग्रामीण बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण का शिकार बनते जा रहे हैं। विगत कुछ माह के एनआरसी के आंकडों को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने बदतर हो चुके हैं।
जानकारी के अनुसार पोहरी महिला बाल विकास परियोजना के अंतर्गत कुल 09 सेक्टर बनाये गये हैं, सेक्टर के अंतर्गत कुल 326 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं। इन आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिला की पहचान कर उसे समय समय पर परीक्षण एवं स्वास्थ परामर्श के साथ ही आवश्यक स्वास्थवर्धक दवाओं का वितरण भी करने का प्रावधान किया गया है। किंतु संवेदनाहीन अधिकारी एवं कर्मचारियों के द्वारा कर्तव्यपालन में गंभीर उदासीनता के कारण पोहरी एनआरसी में इस वर्ष के अप्रैल माह में 14 अतिकुपोषित बच्चों को, मई माह में 15 अतिकुपोषित, जून माह में 14 अतिकुपोषित, जुलाई माह में 28 अतिकुपोषित, अगस्त माह में 28 तथा सितंबर माह में अभी तक 17 अतिकुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जा चुका है, अप्रैल से सितंबर के दौरान कुल 116 बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया गया, परंतु इसके अलावा कई बच्चे ऐसे हैं जिन्हे भती नहीं कराया गया तथा कई बच्चे ऐसे भी जिन्होने समय से इलाज के अभाव में प्राण त्याग दिये होंगे।
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