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कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है: आचार्य लक्ष्मण प्रसाद


 कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है: आचार्य लक्ष्मण प्रसाद

शिवपुरी ब्यूरो। शिवपुरी के ग्राम डेंडरी में भागवत कथा का आयोजन 5 से 12 फरवरी तक किया जा रहा है। कथा के आयोजक नाथूराम पटेल, गुलाबचंद—आनंदी, बाबूलाल, खाण्डेराव, मुन्नी है। कथा का वाचन पं. आचार्य लक्ष्मण प्रसाद शास्त्री द्धारा किया जा रहा है। कथा के पहले दिन कलश यात्रा निकाली गई। वहीं दूसरे दिन भागवत कथा सुनाते हुए आचार्य लक्ष्मण प्रसाद शास्त्री ने श्रीमद् भागवत महात्म्य के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है। सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं हो सकता ।

श्रीमद् भागवत कथा का 7 दिनों तक श्रवण करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं, मनुष्य अपने जीवन में सातों दिवस को किसी ने किसी देवता की पूजा अर्चना करता है ,लेकिन मानव जीवन में आठवां दिवस परिवार के लिए होता है। आचार्य लक्ष्मण प्रसाद शास्त्री द्धारा जीवन में भजन, और भोजन में अंतर बताते हुए कहा कि भजन में कोई मात्रा नहीं होती ,भजन करने से मानव का मन सीधा ही प्रभु से जुड़ जाता है। उसी प्रकार भोजन में मात्रा होती है, मनुष्य को भोजन को भजन एवं प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए कथा के समापन से पूर्व आरती की गई ,आरती करने के पश्चात उपस्थित श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया गया।


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