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बूढ़ाडोगर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय छात्रा ने की खून की उल्टियां

बदरवास नि.प्र.। आदिवासियों के उत्थान के लिए लगातार प्रदेश सरकार नित नई योजनायें संचालित कर रही हैं, उसी से सीख लेकर आदिवासी परिवार के सदस्य अपने बच्चों को शिक्षिक करने के उद्देश्य से शासकीय छावासों में अपनी बालिकाओं को हॉस्टलों में दाखिला दिलाकर शिक्षित बनाने में शासन की योजनाओं लाभ प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन इन शासन की योजनाओं को पलीता लगाने में उनके ही कर्मचारी पीछे नहीं हट रहे हैं। इसी का जीता जागता उदाहरण आज बदरवास तहसील के अंतर्गत आने वाले बूडाढोगर छात्रावास में सामने आया हैं, यहां बताना होगा बूढाडोगर मीडिल स्कूल की छात्रा सोनम जाटव पिछले तीन-चार दिन से बीमार है। जिसकी जानकारी कस्तूरबा गांधी वालिका विद्यालय बूढाडोगर की वार्डन सुल्ताना खान की लापरवाही के कारण खून के दस्त व उल्टियां करती रही और वार्डन द्वारा उसे चिकित्सक के यहां तक ले जाना उचित नहीं समझा और उसे उपचार दिलाने की जगह चार से पांच गोलियां खिलाकर उसली हालत बिगाड़ दी। जिससे बालिका कमजोर हो गई और चलने में भी असमर्थ हो गई। तब बालिका ने रसोईया के फोन से सूचना दी कि पापा मेरी तबियत खराब है। तब कहीं जाकर पिता ने बालिका से मिले और उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराया। पिता रूप सिंह ने इस बात की शिकायत वार्डन सुल्ताना खान की तहसीलदार बदरवास प्रदीप भार्गव से की जिस पर उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा संचालित किए हुए, लेकिन यह वार्डन इस पर अमल नहीं कर रही है तो उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी और बालिका का ठीक से उपचार कराया जाएगा। वॉक्स:- मूंगफली व गुड भी छीनकर रख लेती हैं वार्डन बालिका सोनम के पिता रूप सिंह जाटव का कहना है कि हॉस्टल में खाना तो ठीक नहीं मिलता हैं, जबकि शासन के नियमानुसार मीनू आनुसार भोजन देना चाहिए लेकिन उसकी जगह प्रत्येक दिन आलू की सब्जी भोजन के रूप में दी जा रही हैं साथ ही चावल खिलाने के कारण बालिकाओं बीमार हो रही है। जिसकी स्वयं बालिकाओं द्वारा कई बार शिकायत की जा चुकी हैं, लेकिन फिर भी सुधार नहीं है। इसी का परिणाम हैं कि मेरी बेटी की हालत आज नाजुक बनी हुई है। रूप सिंह ने आगे कहा कि हम अपने बेटियों को घर से खाने के लिए सामग्री भी भेजते हैं तो उसे भी वार्डन द्वारा बालिकाओं से छीनकर रख लिया जाता। जिससे बालिकाऐं कहां से पोषित होगी। इससे अच्छा तो यह हैं कि हम अपनी बालिकाओं को घर वापस ले जाए, उन्होंने कहा कि वार्डन की अनदेखी के कारण यदि बालिकायें खून की उल्टियां कर रही हैं और उसे मौत के मुंह में भेजने की तैयारी कर ली। जिससे अच्छा तो हम अपनी अशिक्षित ठीक है। वॉक्स:- हॉस्टल पर निवास नहीं करती वार्डन सुल्ताना जब बालिका सोनम से इस संबंध में चर्चा की तो उसका कहना था कि मैं पिछले तीन दिन से पेट में दर्द होने कारण बीमार हूं मैने इस बात की जानकारी रसोईया सुमन शर्मा को बताया लेकिन उन्होंने कोई पेट दर्द की गोली और इस बात की जानकारी हॉस्टल वार्डन सुल्ताना खांन को दी, लेकिन वह रात्रि में यहां नहीं रूकती हैं और कोलारस के रामनगर स्कूल से आती एक या दो घंटे रूक घर चली जाती है। वॉक्स:- हॉस्टलों में यह दिया जाता हैं मीनू अनुसार भोजन सोमवार को रोटी तुअर की दाल चटनी हरी रायता और सलाद मंगवार रोटी कड़ी, सूखी सब्जी और सलाद बुधवार रोटी मसूर धुली दाल, रायता फलों का, सलाद गुरूवार राजमा, मट्टा, और सूखी सब्जी शुक्रवार को रोटी, तुअर की दाल, सब्जी या बूंदी का रायता शनिवार को रोटी लुविया, अमरूद, हरा धनियां, चटनी रविवार:- विशेष भोजन दिया जाता हैं जिसमें छोले, पूड़ी, चावल, मौसमी सब्जी सलाद, मट्टा, या दाल वाटी, खीर पूड़ी, या फिर बालिकाओं के पसंद अनुसार इटली सांवर, डोसा, पनीर की सब्जी, रात्रि के समय एक कप दूध बालिकाओं को सर्दी के समय रात को सोते दो बादम, या दो से तीन मुन्नके उवालकर देने का नियम हैं। नास्ते में मौसमी फल, एवं एक गिलास दूध प्रत्येक देना का शासन अनुसार नियम हैं, लेकिन यहां बाकिलाओं के अनुसार भोजन की ठीक नहीं दिया जा रहा हैं। इनका कहना है। बालिका सोनम के खून की उल्टियां करने की सूचना के संबंध में तहसीलदार प्रदीप भार्गव का कहना है कि मुझे इस संबंध में जानकारी हैं मैने आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक एवं कोलारस एसडीएम ब्रजबिहारी श्रीवास्तव को अवगत करा दिया है साथ ही जिलाधीश को भी में अवगत कराऊंगा और शासन की योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा और दोषी वार्डन के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
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