Ticker

6/recent/ticker-posts

संख्या सागर में न मगरमच्छ दिखे न प्रवासी पक्षी, पार्क में बंदर, चीतल देख लौटे बच्चे

- ईको कैंप अनुभूति के माध्यम से बच्चों ने जाना वनों का पर्यावरणीय महत्व - पर्यटकों को निराश कर रहा है माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी ब्यूरो। दूर देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों की रंगबिरंगी और चित्ताकर्षक प्रजातियों के साथ साथ सख्या सागर झील किनारे धूप सेंकते मगरमच्छों को देखने की स्कूली छात्र छात्राओं की चाह उस समय अधूरी रह गई जब न तो उन्हें झील में मगरमच्छ दिखाई दिए और प्रवासी पक्षियों के दर्शन हो सके। इंटरनेशनल रामसर साईट में शामिल सख्या सागर झील मेें जल कु म्भी की बाढ़ ने स्कूली बच्चों के दल को निराश किया वहीं नेशनल पार्क के जंगल में जरुर उन्हें कुछ बंदर चीतल व नील गाय ही दिखाई दिए जिन्हें देख कर जरुर स्कूली बच्चों ने रोमांच का अनुभव किया। शिवपुरी के कन्या उमावि आदर्श नगर के छात्र छात्राओं का 95 सदस्यीय दल ईको पर्यटन विकास वोर्ड के द्वारा आयोजित अनुभूति कार्यक्रम के तहत मंगलवार को माधव राष्ट्रीय उद्यान के भ्रमण पर गया था। स्कूली विद्यार्थियों को ईको पर्यटन संदेश का प्रभावी संवाहक माना गया है। यह मान्यता है कि यदि स्कूली विद्यार्थी पर्यावरण के प्रति उत्तरदाई व्यवहार रखते हैं तो समाज में प्रकृति संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता स्वत: ही विकसित हो सकती है। इसी अवधारणा पर वन विभाग द्वारा अनुभूति कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है। इको पर्यटन कैंप के माध्यम से स्कूली छात्र छात्राओं को माधव राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण कराया जा रहा है। सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा के निर्देश पर साउथ रेंज द्वारा आयोजित इस भ्रमण में पहुंचे स्कूली बच्चों के दल को खुद सीएफ उत्तम कुमार शर्मा ने सम्बोधित कर वनों और वन्य जीवों के पर्यावरण में महत्व के सम्बंध में विस्तार से बताया। आफिसर वृंदावन सिंह यादव के नेतृत्व में माधव नेशनल पार्क के प्रशिक्षित फारेस्ट कर्मचारियों ने जंगल में आधा किमी तक पैदल भ्रमण भी कराया। इस दौरान नेशनल पार्क में बच्चों को नजदीक से जंगली पेड़ पौधों और वहां के वन्य प्राणियों के बारे जानकारी देते हुए बताया गया कि ईका सिस्टम के संतुलन के लिए छोटे से कीट से लेकर बड़े प्राणियों और वनस्पतियों का क्या महत्व है। वॉक्स:- -बच्चों ने ट्रेकिंग कर नजदीक से परखा वन संपदा और प्राणी जगत को- दरअसल ईको कैंप के दौरान पर्यावरण संरक्षण में वनों के महत्व को समझने के लिए वन क्षेत्रों में ट्रेकिंग सहज गतिविधि है। इसी के चलते बच्चों के दल को पैदल चालन से वनों की बनावट तथा वनों के विभिन्न अवयवों को बेहतर तरीके से समझाया गया। विभिन्न प्रकार के वृक्ष, शाक एवं घास प्रजातियों की पहचान एवं उनके आपसी संबंध को वन क्षेत्र में ट्रेकिंग कर समझाया गया। ट्रैकिंग के दौरान बच्चों को समझाया गया कि पारिस्थितिकी तंत्र में पक्षियों का क्या योगदान है किस प्रकार के घोंसले बनाते हैं, उनकी कैसी बनावट है, इन सब के बारे में भी सटीक जानकारी दी गई। यहां वन्य प्राणियों के लिए उनके प्राकृतिक आवास में रहने हेतु पेयजल प्रबंधन से लेकर भोजन और उनकी सुरक्षा के सम्बंध में विद्यार्थियों को जानकारी दी गई। बच्चों ने फारेस्ट अधिकारियों से कई सवाल भी पूछे। पार्क में चीतल, सांभर, नीलगाय, बंदरों ही नजर आए जिन्हें स्कूली बच्चों ने बड़े कौतूहल के साथ देखा। वॉक्स:- -प्रश्रावली सत्र में बढ़ चढ़ कर दिए जबाव जीते पुरुष्कार विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन के लिए तथा उनमें प्रतियोगिता की भावनाओं को बनाए रखने के लिए वन्य जीवन पर आधारित प्रश्नावली और चित्रकला प्रतिस्पर्धा का आयोजन भी किया गया। यहां क्विज में विजेताओं को बाल पेन और टाफियां वितरण के साथ.साथ सभी प्रतिभागियों को सर्टिफि केट भी प्रदान किए गए।
Post Navi

Post a Comment

0 Comments