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जिलाधीश ने किया अस्पताल का निरीक्षण

-हेल्प डेस्क पर नहीं मिला कोई कर्मचारी,अस्पताल के प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्थाएं ठीक नहीं थी -सुबह 6 से 10 बजे तक और शाम को 5 से रात 10 बजे तक काम कराएं शिवपुरी ब्यूरो। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 15 दिसंबर के संभावित कार्यक्रम को लेकर प्रभारी मंत्री ने एक दिन पहले अधिकारियों को चेताया था कि सीएम साहब अस्पताल का निरीक्षण भी कर सकते हैं इसलिए सावधान रहें। जिला अस्पताल मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से लगा हुआ है। ऐसे में रविवार से ही मुख्यमंत्री के निरीक्षण की संभावना को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी गईं। रविवार शाम कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह निरीक्षण के लिए पहुंचे और तैयारियों के लिए दिशा-निर्देश दिए। कलेक्टर के पहुंचने की पहले से सूचना होने पर अस्पताल प्रबंधन ने साफ-सफाई करा दी थी, लेकिन फिर भी कई खामियां नजर आईं। कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि अस्पताल में प्रवेश करते ही मरीज या उसके स्वजन को यह पता होना चाहिए कि उसे मदद के लिए कहां जाना है। इसके लिए हेल्पडेस्क बहुत जरूरी है। हेल्पडेस्क किस जगह पर स्थित है इसका भी साइन बोर्ड होना चाहिए। जब कलेक्टर हेल्पडेस्क पर पहुंचे तो वहां कोई कर्मचारी नहीं था। उन्होंने इसे लेकर सख्त हिदायत दी। अस्पताल के प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्थाएं ठीक नहीं थी। कुछ जगह गंदगी थी, नालियों का पानी बाहर आ रहा था। कई जगहों पर पेंट खराब था। जो होर्डिंग और दीवारों पर सूचनाएं लगी हुई थीं वह काफी पुरानी थीं। इसे लेकर उन्होंने सिविल सर्जन डा. आरके चौधरी से कहा कि 10 डाक्टरों की टीम बनाओ और सभी को 50 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति दो। सभी को अलग-अलग काम वितरित कर बुधवार तक सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कराओ। सुबह 6 से 10 बजे तक और शाम को 5 से रात 10 बजे तक काम कराएं। कलेक्टर ने कहा कि यह सारी व्यवस्थाएं सिर्फ मुख्यमंत्री के संभावित निरीक्षण को देखकर नहीं, बल्कि आमजन की सुविधा की दृष्टि से देखें। मरीज का कल्याण सिर्फ इंजेक्शन से नहीं होता, बल्कि इलाज और सुविधाओं की सहजता से होता है। इसलिए इसे नियमिमता में रखें। वॉक्स:- कलेक्टर ने कहा कि इमरजेंसी की स्थिति से निपटने को लेकर अस्पताल की व्यवस्थाएं ठीक नहीं किसी भी इमरजेंसी की स्थिति से निपटने को लेकर अस्पताल की व्यवस्थाएं ठीक नहीं मिलीं। नई बिल्डिंग में जो अग्निशामक लगा हुआ था उसकी एक्सपायरी होने वाली है। कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने सीएस से पूछा कि आग लग गई तो इसे आपरेट कौन करेगा। इस पर उन्होंने जबाव दिया कि गार्ड करता है। कलेक्टर ने कहा कि मान लें कि आग लग गई, आप बुलाएं गार्ड को। इसेक बाद सिविल सर्जन बगलें झांकने लगे। जब इंटरकोम के बारे में पूछा तो पता चला कि वह भी बंद है। ट्रोमा सेंटर का निरीक्षण करते समय भी अग्निशामक देख कलेक्टर ने यही सवाल दोहराया। इसके बाद जांचने के लिए एक पेपर में आग भी लगा दी। हालांकि तब तक पांच मिनट से अधिक समय हो चुका था और अधिकारियों ने गार्ड बुला लिया था। फिर भी उसे आग बुझाने में समय लग गया। इसे लेकर कलेक्टर ने सख्त हिदायत दी कि इंटरकोम चालू कराएं और ऐसी व्यवस्था बनाएं कि कोई हादसा होने पर सही व्यवस्थित सूचना पहुंचे और तत्काल रिस्पांस हो। वॉक्स:- गायनिक सेवाएं उत्कृष्ट हैं: जिलाधीश कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि जिला अस्पताल की गायनिक सेवाएं उत्कृष्ट हैं, लेकिन शहर का कोई गणमान्य नागरिक यहां डिलीवरी के लिए आए तो स्पेशल वार्ड तक नहीं है। जब कोई वीआइपी बोलता है तो रूम की व्यवस्था हो जाती है। कम से कम एक कमरे की व्यवस्था करें और उसके लिए चार्ज भी करें। यह ऐसी इमरजेंसी होती है जिसमें व्यक्ति को रात में भी जरूरत होती है तो वह जिला अस्पताल से बड़ी उम्मीद रखता है। इस पर एक कमरा चालू करने की सहमति बनी।
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