-वाहन लगाने की निर्धार्रित राशि 20 हजार तो फिर कैसे लगाए 24 और 26 हजार में वाहन
- पिछले दो वर्षों से आखिर क्यों नहीं हुआ टेंडर
शिवपुरी ब्यूरो। संभागीय परियोजना यंत्री लोक निर्माण विभाग पी.आई.यू शिवपुरी में वाहन पिछले कई वर्षों से लगातार किराये पर लगाए जा रहे हैं जिनकी विधिवत रूप से टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती थी, और जिलाधीश द्वारा अनुमोदी दर के अनुसार ही वाहनों को लगाया जाता था लेकिन जब जिलाधीश द्वारा 20 हजार रूपए की दर वाहन लगाने की निर्धारित स्वीकृति प्रदान की गई है तो फिर उससे अधिक रेट पर कैसे वाहन कार्यालय में लगा लिए गए यह बड़ा सवाल हैं।
संभागीय परियोजना यंत्री लोक निर्माण विभाग पीआईर्यू द्वारा अपनी मनमर्जी करते हुए किराए के वाहन लगाने वाले व्यक्तियों से निर्धार्रित रेट भी मंगाई जाती थी, लेकिन विभाग के कर्ताधर्ता द्वारा पिछले दो वर्षों से गुपचुप तरीके से बगैर टेंडर विज्ञप्ति के अधिकारियों की मिली भगत से पुरानी निर्धारित रेटों के आधार पर तीन वार विभाग के ई.ई. और बाबू के तालमेल से पुन: गाड़ियों को लगा लिया गया। जबकि पूर्व में वाहनों के टेंडर लगाए गए थे तब विभाग द्वारा 22 हजार रूपए निर्धारित रेट की गई थी जिसमें बुलेरो गाड़ियां लगाई थी, लेकिन पिछले तीन वार से न कोई टेंडर बुलाए और बगैर टेंडर बुलाए अपनी मनमर्जी के चलते ई.ई. और बाबुओं द्वारा ही कागजों में हेराफेरी करके पुन: उन्हीं गाड़ी मालिकों से कुछ लेनदेन करके उन अगले वर्ष के लिए निधारित करते हुए उनकी रेट 24075 रूपए प्रतिमाह की दर से बुलेरो वाहन लगा रखे हैं। जबकि स्कारर्पिओ वाहन की रेट 26 हजार रूपए फिक्स कर रखी हैं इन वाहनों को लगाने से पूर्व शासकीय नियमों का पालन भी नहीं किया गया है। क्या सभी वाहन नियमानुसार ही लगाए हैं? यदि गलत तरीके से रेट बढ़ाई तो क्या इन अधिकारियों व कर्मचारियों, या टेंडर प्राप्त करने वाली फर्म से राशि की बसूली की जाएगी?
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आखिर बगैर टेंडर बुलाए वाहन किराए पर कैसे बढ़ा दी दर स्वीकृति
पीआईयू विभाग द्वारा जारी पत्र क्रमांक 435 /स्था. / 2020-21 / डीपीई/ शिवपुरी. दिनांक 08.5.2020 में विषयान्तर्गत आपके संदर्भित पत्र द्वारा वाहन किराए पर लगाए जाने के लिए दरों का अनुमोदन किए जाने प्रेषित प्रस्ताव के आधार पर इस कार्यालय द्वारा दिनांक 26.5.2020 को निराकरण समिति की बैठक में लिये गए निर्णय अनुसार मैसर्स पी.एल. ट्रेडर्स शिवपुरी की न्यूनतम निविदा दर निम्नानुसार स्वीकृत की जाती है जिसमें 1. स्कोर्पियों वाहन के लिए रू. 26175/- प्रति माह फिक्स किराया, वहीं 2. बुलेरो वाहन के लिए रू. 24075/- प्रति माह फिक्स किराया। इसके साथ ही डीजल की प्रतिपूर्ति निविदा की कंडिका 5.8 के अनुसार स्कोर्पियो वाहन के लिए 10 कि.मी. प्रति लीटर तथा बुलेरो वाहन के लिए 11 कि.मी. प्रति लीटर की दर से भुगतान देय होगा, साथ ही निविदा में दी गई शर्तों का पालन करना सुनिश्चित करें किसी भी स्थिति में निविदा की कांडकाओं का स्वरूप परिवर्तित नही होना चाहिए। अनुबन्ध की कार्यवाही पत्र प्राप्ती के 10 दिवस के अन्दर पूर्ण की जाना सुनिश्चित थी, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि यह पूर्ण विज्ञप्ति के अनुसार पहली वार तो नियमानुसार थी, लेकिन दूसरी और तीसरी बार न तो कोई टेंडर बुलाए गए और न ही किसी व्यक्ति को इस बात की जानकारी की भनक तक नहीं लगी, तो फिर एक साथ इन वाहनों की रेट कैसे वढ़ा दी गई।
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जिलाधीश कार्यालय से निर्धारित रेट 20 हजार रूपए हैं फिक्स
सूत्रों के अनुसार बताया तो यह भी गया है कि शासकीय कार्योलयों में वाहन लगाने के लिए जिलाधीश द्वारा शासकीय रेट निर्धारित की गई जिसमें लगभग 20 हजार रूपए प्रतिमाह के हिसाब से शासकीय कार्यालय में वाहन लगाना बताया जाता है, लेकिन पीआईयू एक ऐसा विभाग है जो जिलाधीश के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए जिलाधीश द्वारा निर्धारित से अधिक रेट पर अपने कार्यालय में वाहन लगाए हुए हैं और शासन के खजाने राजस्व के रूप में पलीता लगाने में लगा हुआ है।
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