शिवपुरी में भू माफियाओं के खिलाफ अभियान नतमस्तक, राजनैतिक संरक्षण में पनप रहे कॉलोनाईजर
-राजस्व विभाग के कर्ई कर्मचारी भी अघोषित रूप से हैं कॉलोनियों में हिस्सेदार
शिवपुरी ब्यूरो। एक ओर मध्य प्रदेश सरकार जहां भू माफियाओं को जमीन में गाडऩे की बात खुले मंच से करती हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार की मंशा को दरकिनार करते हुए राजनैतिक संरक्षण प्राप्त भू माफियाओं को प्रशासन की खुली छूट मिली हुई है। तभी तो बेखौफ होकर भू माफिया कॉलोनी पर कॉलोनी काटते जा रहे हैं न तो उन्हें किसी अनुमति की आवश्यकता हैं और न ही भूमि के व्यवसायिक परावर्तन की।
जिले भर में भूमि कारोबार उतरे दलाल प्रवृति के नागरिकों द्वारा जिंदगी भर की मेहनत की कमाई से अवैध कॉलोनियों में प्लाट खरीदने वाले लोग भूमी कारोबारियों के हाथों किस तरह लुट रहे हैं। माफिया और अफसरों की मिली भगत से शहर से लेकर गांव तक अवैध कॉलोनियों धड़ल्ले से बसाई जा रही हैं। इधर शासन के दवाब में भूमि के अवैध कारोबारियों के खिलाफ अभियान चलाया जाकर उनके खिलाफ कार्यवाही करने की बात कहीं जा रही हैं। उधर धड़ल्ले से अवैध कॉलोनियों बसार्ई जा रही हैं। देखा जाए तो शहर और शहर के आस पास 150 से अधिक कॉलोनियों बसार्ई जा चुकी हैं। जिनमें शहर के भू माफिया तो अपने पैसों को चार गुना कर ही रहे हैं इनमें अघोषित रूप से कई सरकारी कर्मचारियों के भी शेयर पड़े हुए हैं। यहां जानकारी देना मुनाशिव होगा कि पूर्व में भी कई पटवारी एवं कर्मचारी के नाम भू माफियाओं से जुड़े पाए गए हैं तथा कुछ तो लोकायुक्त के शिकंजे में भी आ चुके हैं।
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शहर से लेकर गांव तक पहुंचा अवैध कॉलोनियों का जाल
भूमि के अवैध करोबारियों ने शहर के साथ-साथ अब ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपने सिंकजे में ले लिया हैं। जिनमें सिंह निवास से लेकर, बड़ी नोहरी, छोड़ी नोहरी, बछौर, रायचंदखेड़ी, मनियर, फतेहपुर, बडौदी, पिपरसमा, दर्रोनी सहित आदि ग्रामों में भूमाफियाओं व उनके द्वारा तैनात किए गए दलालों द्वारा लोगों को अपने जाल में फंसाकर खेतों में प्लाट काटकर विक्रय किए जा रहे हैं। उस दौरान लोगों को बिजली, पानी व बेहतर सडकों आदि सुविधाऐं प्रदान करते का वादा किया जाता है। वादों के साथ-साथ अतिशीघ्र सभी सुविधाऐं मुहैया कराने के भी भरपूर आश्वासन दिए जाते हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर धरातल पर कुछ नहीं है। भूमाफियाओं के जाल में फंसकर लोगों ने प्लाट तो खरीद लिए, लेकिन अब वह मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर स्यवं को ठगा महसूस कर रहे हैं। शहर में वर्तमान में करीब 10 नवीन कॉलोनियां काटी जा रही हैं। यह कॉलोनी ग्वालियर वायपास रोड, रेेलवे स्टेशन रोड, हवाई पट्टी के पास, न्यू फोरेलेन पर लगभग दो से तीन कॉलोनियां, मेडीकल कॉलेज के पास, कत्था मील के सामने, ग्वालियर रोड आदि स्थानों पर काटी जा रही हैं। खास बात यह है कि नगर में कुछ ही कॉलोनी वैध है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन ने यहां कॉलोनियों में कॉलोनाइजरों की मनमानी को लेकर कार्रवाई कतई नहीं की है। इतना ही नहीं इन नवीन कॉलोनियों में एक ही सर्वे नंबर में दूसरे सर्वे के प्लाट को बेच दिया जाता है। नियम अनुसार जिस कॉलोनी का डायवर्सन नहीं है उसकी रजिस्ट्री नहीं होगी, पर उप पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्रार द्वारा इसकी जांच किए बिना ही प्लाटों की रजिस्ट्रियां धल्ले से की जा रही हैं।
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नपा के पास नहीं है कॉलोनियों का रिकॉर्ड
नगर पालिका शिवपुरी में कॉलोनियां काटने के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा लाइसेंस नहीं लिया गया है। कॉलोनाइजिंग एक्ट के तहत किसी भी जमीन मालिक ने नियम का पालन नहीं किया, जबकि नगर परिषद की बिना अनुमति नगरीय क्षेत्र में कॉलोनी नहीं काटी जा सकती। सबसे बड़ी बात तो यह है कि नप प्रशासन के पास कॉलोनियों का रिकार्ड तक नहीं है। प्रशासन ने अभी तक सर्वे नहीं कराया है। अवैध कॉलोनियों के कारण नगर परिषद को संपत्ति कर के रूप में हर साल लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। खास बात यह है कि अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई न होने की वजह से नगर के कई इलाकों में अवैध रूप से प्लाटिंग की जा रही है। जिससे कृषि योग्य जमीन को भी कॉलोनी में परिवर्तित कर दिया गया है।
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कॉलोनी काटने के लिए इन नियमों का पालन करना जरूरी
नगर में जहां भी नवीन कॉलोनियां काटी जा रही हैं, उनका सबसे पहले राजस्व विभाग में डायवर्सन होना चाहिए। लेकिन कॉलोनाइजर रजिस्ट्रेशन फीस से बचने के चक्कर में डायवर्सन नहीं कराते हैं। जिससे राजस्व की चोरी खुलेआम की जा रही है। कॉलोनी में नियमावली के अनुसार पक्की रोड, नाली, पानी की सुविधा, बिजली, खंबों पर स्ट्रीट लाइटें, पार्क आदि की सुविधाएं होनी चाहिए। मगर कॉलोनाइजर खेतों में कच्ची रोड डालकर प्लाट काट देते हैं। बयनामा के दौरान भी उपपंजीयक ऑफिस में यह लिखा जाता है कि जांच उपरांत जमीन बंधक नहीं पाई गई है। पर सर्विस प्रोवाइडर और रजिस्ट्रार इस पर कतई ध्यान नहीं देते हैं।
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