-सुरक्षा व्यवस्था के साथ नहीं है मैरिज गार्डनों में पार्किंग के लिए जगह
-शादी के समय घंटों लगा रहता हैं जाम, नहीं की जाती कार्यवाही
शिवपुरी ब्यूरो। कम मेहनत में अधिक मुनाफा कमाने के लालच में शहर के पूंजीपतियों द्वारा लगातार मैरिज गार्डन खोले जा रहे हैं। शासकीय नियमों को ताक पर रखकर संचालित किए जा रहे। मनमानी फीस बसूलने वाले मैरिज गार्डन संचालक नागरिकों को कोई सुविधा भी मुहिया नहीं कराते पार्किंग के नाम पर आम रास्ते पर वाहनों को खड़ा करने पर भी नगर पालिका व यातायात विभाग इन के विरूद्ध कोई कार्यवाही तक नहीं करते जिसके कारण शादियों के समय पर घंटों जाम की स्थिति निर्मित हो जाती हैं वहीं कई जगह जाम के कारण विवाद भी खड़े होते हैं। जब कभी कार्यवाही की बात आती है तो जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नोटिस देकर इतिश्री कर दी जाती हैं। इसी का परिणाम हैं कि शहर में सैकड़ों मैरिज गार्डन संचालित हैं गली मोहल्लों से लेकर शहर के प्रमुख मार्गों पर कतारबद्ध संचालित किए जा रहे हैं जो आम नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
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नियमों के मुताबित संचालकों को इन शर्तों करना होता हैं पालन
राज्य सरकार के आदर्श उपविधि २०२० नियम के मुताबिक संचालकों को मैरिज गार्डन खोलने से पूर्व इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होता हैं।
-प्रत्येक मैरिज गार्डन संचालक को नगर पालिका से अनुमति लेना अनिवार्य।
-मैरिज गार्डन के लिए फायर बिग्रेड की एनओसी के लिए भी शुल्क निर्धारित।
-डीजे के लिए भी समय निर्धारित, रात १० से सुबह ८ बजे तक प्रतिबंधित।
-गार्डन में वॉटर हारर्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना जरूरी।
-सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आने-जाने के लिए दो गेट लगाना जरूरी।
-बिजली, पानी और आपात बिजली की व्यवस्था निश्चित मापदंड पर जरूरी।
-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जवाबदारी भी मैरिज गार्डन संचालक की है।
-गार्डन में केंद्र व राज्य शासन के ध्वनि व वायु प्रदूषण नियम का पालन हो।
-मैरिज गार्डन तक सड़क की चौड़ाई कम से कम ४० फीट हो।
-कुल क्षेत्र का २५ फीसदी हिस्सा पार्किंग के लिए आरक्षित।
-पार्किंग के लिए चार गार्ड रखना होंगे। जो मुख्य सड़क का ट्रैफिक भी संभालेंगे।
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कैसे मिल गई निर्माण की अनुमति
मैरिज गार्डन के लिए पहले तो व्यवसायिक भूखंड का डायवर्सन राजस्व विभाग से कराना होता है। इसके बाद नगर पालिका से भवन निर्माण की अनुमति लेना पड़ती है। नगर पालिका में नक्शा पेश करने के साथ ही सारे नियमों को भी पालन करना पड़ता है। नगर पालिका अधिकारी, इंजीनियरों द्वारा पूरा मौका मुआयना करने के बाद ही निर्माण अनुमति दी जाती है। अब सवाल ये उठता है कि जब मैरिज गार्डनों के पास पार्किंग व्यवस्था ही नहीं है तो उन्हें अनुमति कैसे दे दी गई।
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नाम मात्र की हैं मैरिज गार्डनों में पार्किंग
शहर में अपवाद स्वरूप दो तीन गार्डनों को छोड़कर किसी मैं भी वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं है संचालकों ने पार्किंग के नाम पर थोड़ा सा खुला ऐरिया छोड़कर वहां पार्किंग का बोर्ड लगा दिया गया हैं। जबकि हकीकत यह है कि किसी भी मैरिज गार्डन में ५० से अधिक वाहन पार्किंग में खड़ा करने की व्यवस्था ही है। शादी के सीजन में आम रास्तों पर खड़े वाहनों से स्पष्ट होता है कि कहीं भी किसी भी मैरिज गार्डन में नियम के मुताबिक पार्किंग नहीं है।
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शिकायतों के बाद भी नहीं होती कार्यवाही
ऐसा नहीं है कि मैरिज गार्डनों से परेशान लोग शिकायत नहीं करते शिकायत के बाद भी इन संचालकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती। गली मोहल्लों में संचालित मैरिज गार्डोंनों के कारण नागरिक रात की नींद पूरी नहीं कर पाते। वहीं दूसरी ओर बच्चों को भी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती हैं।
इनका कहना हैं
नियमानुसार करेंगे कार्रवाई
सभी मैरिज गार्डन पांच से सात साल पुराने बने हुए है। इनकी अनुमति उस समय के अधिकारियों ने किस आधार पर दी थी, इसकी जानकारी नहीं है। नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है तो हम इसकी जानकारी ले लेते है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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