शिवपुरी में स्वर्गीय बल्लभदास ग़ोयल की स्मृति में सातवां हास्य कवि सम्मेलन सम्पन्न।
शिवपुरी में स्वर्गीय बल्लभदास ग़ोयल की स्मृति में सातवां हास्य कवि सम्मेलन सम्पन्न।
शिवपुरी ब्यूरो- अखिल भारतीय साहित्य परिषद शिवपुरी द्वारा प्रतिवर्ष होली के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमो के सूत्रधार स्वर्गीय बल्लभदास ग़ोयल की स्मृति में आयोजित अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन निरंतर सातवे वर्ष सम्पन्न हुआ।
सर्वप्रथम समस्त उपस्थित कवियों व मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेंद्र शर्मा व पूर्व प्रदेश प्रवक्ता धैर्यवर्धन शर्मा ने सरस्वती माता व स्वर्गीय बल्लभदास ग़ोयल के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम शुभारंभ किया,उसके बाद अमन ग़ोयल ने समस्त अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
कवि सम्मेलन के क्रम में झांसी की मोनिका मनु ने सरस्वती वंदना की,उसके बाद जयपाल जाट ने किया दो साल कोरोना ने हमको तंग होली में,चलो अबकी मिलो सबसे लगाओ रंग होली में सुनाकर प्रस्तुति दी।प्रदीप अवस्थी साधक ने
फूलों में जो खुशबू है,नदियों में जो पानी है,
सब उसका करिश्मा है,सब उसकी निशानी है,
देता है वही सबको,ये धूप हवा मिट्टी,
संसार का एक वो ही सबसे बड़ा दानी है,
विकास शुक्ल प्रचंड ने बिलख बिलख मन रो रहा, भर भर नैना नीर।
विवश खड़ी है द्रुपद सुता, अधम खींचता चीर सुनाकर तालिया बटौरी।
सलीम बादल ने दिलो में दीप मुहब्बत के वो जला के गए,वो जब गए तो हर एक शख्स को रुला के गए सुना स्वर्गीय ग़ोयल का स्मरण किया।
आशुतोष शर्मा ओज ने भगत सिंह राजगुरु सुखदेव अमर आजाद प्रतापी आज,
अंग्रेज हुए थे कम्पित जिनसे छोड़ भगे थे तख्तों आज,
लेकिन सच मे पूर्ण हुआ क्या जो देखा था सपना,
हंसते हंसते फंदा चूमा फर्ज समझकर अपना सुनाकर वीर रस की प्रस्तुति दी।
हरदा से आये हास्य व्यंग्य के शसक्त हस्ताक्षर मुकेश शांडिल्य चिराग ने घर वाले सारे काम पूरे करो सुबह शाम बर्तन मांजो तो बजाना नहीं चाहिए
जिंदगी की एक बात कहता हूं साफ-साफ बीवी गर मारे तो चिल्लाना नहीं चाहिये सुना सभी का मनोरंजन किया।
भारत के श्रेष्ठ गीतकार भोपाल के धर्मेंद सोलंकी ने लक्ष्य तलक उसने मेरे हाथों को जाने नहीं दिया
गोरे-गोरे,कोरे गालों को सहलाने नहीं दिया
मुँह पर कपड़ा बांधे गौरी फूलन देवी बनी रही
कोरोना के डर से मुझको रंग लगाने नहीं दिया सुना सभी को मुग्ध किया।
संचालन कर रहे विदिशा से आये संतोष सागर ने क्या हुआ गुलशन की सारी तितलियां डरने लगी ।
आज अपने घर में घर की बेटियां डरने लगी ।।
बेटियों पर गीत सुना सभी को रोमांचित किया।
सुकून शिवपुरी ने रुला दिया हमे कश्मीर की इक फ़ाइल ने,अभी तो कितने ही नोबल को पढ़ना बाकी है सुना वर्तमान मुद्दे को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया।
संचालन संतोष सागर ने तो आभार अमन ग़ोयल ने ज्ञापित किया रात्रि के 12 बजे तक कवि सम्मेलन सौहार्दपूर्ण वातावरण में चलता रहा श्रोता मुग्ध होकर सुनते रहे।
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