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बामोर में क्रेशर संचालक कर रहे हैं अवैध उत्खनन-बिना रॉयल्टी के हो रही है गिट्टी सप्लाई,

बामोर में क्रेशर संचालक कर रहे हैं अवैध उत्खनन
-बिना रॉयल्टी के हो रही है गिट्टी सप्लाई, आदिवासियों को उपजाऊ जमीन को करने में लगे हैं नष्ट 
बदरवास नि.प्र.। बदरवास जनपद क्षेत्र के ग्राम बामोर में क्रेशर संचालकों द्वारा शासकीय भूमि पर अवैध उत्खनन कराए जाने का कारोबार जोरों से चल रहा है क्रेशर संचालक बेखौफ होकर शासकीय भूमि से अवैध पत्थर खनन कर गिट्टी निकाल रहे हैं। अवैध रूप से निकाली जा रही गिट्टी से शासन को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान तो हो रही रहा हैं। लेकिन क्रेशर संचालकों पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई क्रेशर संचालक जिम्मेदार अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके शासकीय भूमि पर एवं नाले पर अवैध उत्खनन कर रहे हैं, प्रशासन के ढुलमुल रवैए के चलते खनन माफिया शासन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, खनन माफिया लगभग 90 प्रतिशत शासकीय भूमि को खोद चुके हैं, अंचल के ग्राम बामोर बारई, धामनटूक, गरगटू, धुआई, के आदिवासियों की पट्टे की जमीन पर भी अवैध उत्खनन कराया जा रहा है, क्रेशर मालिकों द्वारा आदिवासियों एवं अन्य लोगों के पट्टे या कब्जे वाली शासकीय भूमि पर एक दो लाख का लालच देकर खाली करा लेते हैं अगर कोई नहीं मानता है तो उसे धमकी देकर शांत करा देते हैं, शासकीय पट्टे की जमीन पर कब्जा करने के बाद माफिया अधिकारियों से सांठगांठ कर अवैध उत्खनन शुरू कर देते हैं, इन दिनों माफिया दिन रात खुदाई कराकर पत्थर निकाल रहे हैं। अवैध उत्खनन के कारण उपजाऊ जमीन भी नष्ट हो गई है। अब देखना यह हैं कि जिला प्रशासन इस अवैध कारोबार की ओर आखिर कब तक ध्यान दे पाता हैं या फिर आदिवासियों की उपजाऊ भूमि इसी तरह नष्ट होती रहेगी। 
वॉक्स:-
क्रेशर की उड़ती धूल से ग्रामीणों का सांस लेना हो रहा है मुश्किल
बदरवास क्षेत्र के ग्राम बामोर में आधा दर्जन से अधिक स्टोन क्रेशर प्लांट संचालित हैं इन प्लांटों में सरकार के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। स्थानीय प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है, बदरवास तहसील मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर दूरी पर क्रेशर प्लांट बामोर के लोगों के लिए कई प्रकार की बीमारी देने में लगे हुए हैं, प्रदूषण विभाग के नियमों को ताक पर रखकर  क्रेशर का संचालन हो रहा है ग्रामीणों ने बताया कि बामोर के क्रेशर प्लांट में ना तो बाउंड्री वॉल है, और ना ही पेड़ पौधे पानी का छिड़काव भी नहीं होता है फिर भी यह क्रेशर नियमों को ताक पर रखकर अधिकारियों के आशीर्वाद से चल रहे हैं, ग्राम बामौर के शासकीय स्कूल से चंद दूरी पर लगे क्रेशर प्लांटों की उड़ती धूल से स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की जिंदगी खतरे में है क्रेशर की उड़ती धूल सबसे पहले गांव के स्कूल में पहुंचती है क्योंकि स्कूल और क्रेशर प्लांट की दूरी बहुत ही कम है ग्रामीणों ने क्रेशर की उड़ रही धूल को बंद कराने प्रशासन से मांग की है।
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