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राकेश पाराशर और उसके परिवार संपत्ति बेचने लगा प्रतिबंध

आखिर बैंक प्रबंधन दोषियों पर क्यों नहीं करा रहा एफआईआर -करोड़ों के घोटाले जांच की आंच अब पहुंची सेवा समितियों पर शिवपुरी ब्यूरो। सहकारी बैंक में हुए घोटाले की आंच अब सहकारी समितियों पर भी पहुंच गई हैं। सवाल यह उठता हैं कि इनता सबकुछ होने के बाद भी बैंक प्रबंधक क्यों चुप पड़ा बैठा हैं। जब जिले में 100 करोड़ से अधिक को घोटाला सामने आ गया हैं तो प्रथम दृष्टया बैंक प्रबंधन को सामने आने के बाद तत्काल दोषियों पर एफआईआर दर्ज करा कर उन्हें निलंबित कर पूरे मामले की बारीकी से जांच करानी चाहिए। सहकारी बैंक में हुए 100 करोड़ से अधिक के घपले में हर दिन नई बातें उजागर हो रही हैं। जहां बैंक प्रबंधन इस पूरे मामले को दबाने में जुटा हुआ है तो दूसरी ओर घोटाले में संलिप्त कर्मचारियों पर प्रशासन का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। सहकारी समितियों ने भी किसानों को जमकर लूटा है जिसकी कई शिकायतें भी हुई हैं। इन शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन अचानक से करोड़ों रुपये का गबन सामने आ जाने से अब इनकी जांच भी होना तय है। वहीं बैंक के मामले में बुधवार को एक नई जानकारी सामने आई है। सूत्रों की मानें तो शिवपुरी शाखा के कर्मचारी प्रभात भार्गव और हरवंश श्रीवास्तव ने 40 लाख रुपये बैंक में जमा कराए हैं जो खातों से लैप्स हो गए थे। इसके पूर्व जब बैंक की सीईओ लता कृष्णणन ने बैंक की 100 करोड़ से अधिक की राशि का मिलान न होने पर पत्र लिखा था तब भी कर्मचारियों द्वारा कोलारस शाखा में आननफानन में 2 करोड़ रुपये जमा करा दिए गए थे। अचाकन से बैंक में खुद कर्मचारियों का रुपये जमा कराना ही यहां हुई बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है। कई सेवा समितियों के प्रबंधन खाद घोटाले में तो कई चना, गेहूं खरीदी में आरोपी सिद्व हो चुके हैं और उन पर बसूली के भी आदेश प्रभावशील हुए हैं, लेकिन शासन और किसान के पैसे वसूल नहीं हो चके हैं। अब कोलारस एसडीएम ने सहकारी सेवा समितियों के पुराने नोटिस खंगालने के निर्देश दे दिए हैं जिनसे उनमें भी हड़कंप मच गया है। इन समितियों की पुरानी सभी शिकायतें, नोटिस आदि की पूरी जानकारी निकालकर कच्चा चिठ्ठा तैयार किया जा रहा है। इससे इस घोटाले के और बढऩे की आशंका बन रही है। वॉक्स:-
राकेश पाराशर और उसके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा संपत्ति बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस पर शक इसलिए भी गहरा रहा है कि बैंक घोटाला खुलने के साथ ही इस परिवार ने अपनी संपत्तियां बेचना शुरू कर दी थीं। राकेश पाराशर की नियुक्ति भृत्य के पद पर थी, लेकिन उसे कंप्यूटर ऑपरेटर बना दिया गया था। एक कंप्यूटर ऑपरेटर पर करोड़ों की संपत्ति ही अपने आप में अजीब बात है। सूत्रों की मानें तो राकेश पाराशर ने बड़ी राशि करैरा में अपने करीबियों के जरिए ठिकाने लगाई है। वहीं एक और नाम कंप्यूटर ऑपरेटर रेणु शर्मा का आया है। अभी भी रामेश्वर धाम के सैकड़ों वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ रहे हैं। इनका कहना है। पूर्व में जिन समितियों पर कार्यवाही हुई है, या जिनको नोटिस जारी हुए हैं, उनको निकलवाकर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। कोविड और अतिबर्षा के बाद अब इस कार्य को अंजाम देने की हमारी प्राथमिकता रहेगी। पहले ये जानकारी लेना अतिआवश्यक है कि किन-किन समितियों पर किस प्रयोजन के नोटिस जारी हुए हैं। गणेश जायसवाल एसडीएम कोलारस
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