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कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों के साथ परिजन भी हो रहे हैं संक्रमित



 कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों के साथ परिजन भी हो रहे हैं संक्रमित
-स्वास्थ्य विभाग कोविड मरीजों की जांच तक नहीं करा रहा है,
शिवपुरी ब्यूरो। कोरोना महामारी अपने चरम पर है। बुधवार को जिले में संक्रमित मिलने के सभी रिकॉर्ड टूट गए। महामारी के इस विकराल रूप के बाद भी स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही चल रही है। जिले में 333 एक्टिव केस होने के बाद भी सिर्फ 31 लोग ही अस्पताल में भर्ती हैं जिसमें 15 लोग आइसीयू और 16 लोग कोविड वार्ड में भर्ती हैं। महज 31 लोगों के भर्ती होने पर ही जिला अस्पताल की सांसे फूलने लगी हैं और यहां हर ओर अव्यवस्था फैली हुई है। जो वार्ड संक्रमितों से भरा हुआ है उसमें संक्रमितों के स्वजन ही वार्ड बॉय का काम कर रहे हैं। वे लोग ही अंदर दवा देने जा रहे हैं, अपने स्वजनों को बाथरूम आदि ले जा रहे हैं। ऐसे में उनका भी संक्रमित होना तय है। इनमें से अधिकांश को कोरोना के लक्षण भी आ रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग इनकी जांच तक नहीं करा रहा है। कई मरीजों के स्वजन जिला अस्पताल में चक्कर लगा रहे हैं कि हमारी जांच करा दें क्योंकि हमारे अंदर भी कोरोना के लक्षण हैं। इसके बाद भी इनकी जांच नहीं की जा रही है। मरीज खाना भी अपने घरों से ही मंगवा रहे हैं क्योंकि यहां पर जो खाना मिल रहा है उसकी क्वालिटी बहुत घटिया है।
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अव्यवस्थाओं के बीच रहने को मजबूर मरीज
हाल ही में जिला अस्पताल से चार कोरोना संक्रमित भाग गए थे जिन पर प्रबंधन की ओर से एफआइआर भी दर्ज करा दी गई थी। इस घटना से भी यह स्पष्ट होता है कि जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं कितनी बदतर हैं कि मरीजों को भागना पड़ रहा है। यह मरीज भागकर कहीं और नहीं, बल्कि अपने खुद के घर ही गए। वर्तमान में भर्ती मरीजों की स्थिति भी ऐसी है कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है कि इस महामारी में जाएं तो जाएं कहां। स्वास्थ्य विभाग भी कागजों पर अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त बताने में जुटा हुआ है जबकि जमीनी स्तर पर मरीज अपनी दुर्दशा पर आसंू बहा रहे हैं।
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बाजार से ला रहे इंजेक्शन, रेमडेसिविर के केमिस्ट ले रहे मनमाने दाम
मरीज बढऩे के साथ मेडिकल स्टोर संचालकों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी शुरू कर दी है। अस्पताल में भर्ती मरीजों को डॉक्टर रेमडेसिविर इंजेक्शन लिख रहे हैं। कई शहरों में तो यह इंजेक्शन पूरी तरह खत्म हो चुके हैं, लेकिन शिवपुरी में मिल रहे हैं। इनकी बढ़ती मांग और कम उपलब्धता के चलते मेडिकल स्टोर संचालक मनमाने दाम वसूल रहे हैं। बाजार में यह इंजेक्शन 4 से साढ़े चार हजार रुपये में बेचा जा रहा है। मरीजों के स्वजनों को मजबूरी में यह खरीदना भी पड़ रहा है। यदि यही िस्थति रही तो शहर के बाजारों से रेमडेसिविर को गायब होते देर नहीं लगेगी क्योंकि इंदौर और ग्वालियर जैसे शहरों में यह इंजेक्शन पहले ही खत्म हो चुके हैं।
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खुद कोविड वार्ड में जाकर करते हैं माता-पिता की मदद
मोनू भार्गव ने बताया कि उनके माता-पिता दोनों ही कोरोना संक्रमित हैं। पिता रामकुमार भार्गव को तीन दिन पहले और मां शिमला भार्गव को दो दिन पूर्व जिला अस्पताल में भर्ती किया। मोनू ने बताया कि मुझे और परिवार के एक अन्य सदस्य को कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं। हर दिन जांच का कह रहे हैं, लेकिन जिला अस्पताल में अधिकारी दवाएं देकर कहते हैं कि जांच की जरूरत नहीं है यह दवाई खा लो ठीक हो जाओगा। अंदर कोई वार्ड बॉय तक नहीं है। माता-पिता को बाथरूम कराने ले जाने के लिए खुद अंदर कोविड वार्ड में जाना पड़ता है। अब वहां जाकर संक्रमित तो होंगे ही। इसके बाद भी जांच नहीं कराई जा रही है।
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सांस फूल रही है, परिवार में सब पॉजिटिव फिर भी जांच नहीं
छर्च निवासी अवधेश गोयल ने बताया कि मेरे पिता की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती हैं। मेरी बेटी इंदौर में पॉजिटिव आई है और वह भी अस्पताल में भर्ती है। अवधेश ने बताया कि उनकी सांस फूल रही है और उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है कि कोरोना संक्रमण के पूरे लक्षण हैं। अस्पताल में कई बार बोला कि हमारी भी कोरोना की जांच करें, लेकिन यह लोग जांच करने के लिए तैयार नहीं है। पिता अंदर कोविड वार्ड में हैं।

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