सेवानिवृत्त कर्मचारी आज भी सेवाऐं दे रहा हैं परिवहन कार्यालय में
-परिवहन अधिकारी का हैं पूर्ण संरक्षण
-आम नागरिकों ने जिलाधीश से परिवहन कार्य करवाने की लगाई गुहार
शिवपुरी ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना हैं कि डिजीटल इंडिया बने इसके लिए लगातार प्रधानमंत्री जी सभी विभागों को ऑनलाईन पद्धति से जोडऩे में लगे हुए हैं। शिवपुरी का जिला परिवहन कार्यालय ऑन लाईन तो हो गया, लेकिन ऑन लाईन काम नहीं हो पा रहे हैं इतना ही नहीं यहां पर साधारण व्यक्ति यदि अपना वाहन हस्तांतरण कराने या फिर ड्रायविंग लाईसें बनाने के लिए कार्यालय में दर्जनों के चक्कर लगाने के बाद भी यहां उनका कार्य होना नामुमकिन हैं, क्योंकि सूत्रों की मानें तो जिला परिवहन अधिकारी महिला समय पर न तो कार्यालय में आती हैं, न ही फाईलों को देखती हैं, इसलिए आज भी कार्यालय में दर्जनों फाईल धूल खाती हुई मिल जाएगी। लेकिन शिवपुरी जिला परिवहन कार्यालय पर आम उपभोक्ताओं के लिए संचालित एकल खिड़की प्रणाली चालू की लेकिन यहां पर आम उपभोक्ताओं के कार्य कराना बड़ा पेचीदा हैं, क्योंकि यहां सेवानिवृत्त कर्मचारी वाहन हस्तांतरण कराने आने वाले नागरिकों के लिए दर्जनों कमियां निकाल कर परेशान करने में लगे रहते हैं। इस कारण आम उपभोक्ता दलालों के माध्यम से जिला परिवहन कार्यालय में अपने वाहनों के हस्तांतरण कराना या फिर ड्राईविंग लाईसेंस बनाने के लिए हजारों रूपए देना पड़ रहे हैं। इस बात की जानकारी स्थानीय वरिष्ठ अधिकारियों को होने के बाद भी इस भ्रष्टाचारी प्रथा की ओर किसी का भी कोई ध्यान नहीं हैं।
वॉक्स:-
500 से अधिक फाईल पड़ी हैं विभाग में लटकी
जिला परिवहन कार्यालय में यदि गौर करें तो कई ग्रामीण नागरिक शहर से 10 किमी.दूर स्थित परिवहन कार्यालय में अपने वाहनों को हस्तांतरण कराने, या फिर ड्राईविंग लाईसेंस या फिटनेश बनबाने जैसे कई कामों के लिए यदि वह सीधा संपर्क करता हैं तो इन दिनों कार्यालय में वैश्विक बीमारी कोरोना के वाहने चैनलों में ताले पड़े रहते हैं। इस कारण कार्यालय इन दिनों 500 से अधिक फाईलें जिला परिवहन अधिकारी द्वारा लटका कर रख रखी हैं और वह धूल खा रही हैं। यदि यहीं फाईल किसी दलाल के माध्यम से जाती तो शायद उनका काम हो जाता। ग्रामीणों का कहना हैं कि पिछले तीन माह से ट्रेक्ट को हस्तांतरण कराने के लिए परिवहन कार्यालय के चक्कर लगा रहा हूं लेकिन आज तक उसके दस्तावेज ट्रास्पर नहीं हो पाए हैं।
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दफ्तर में दलालों का राज
जिला परिवहन कार्यालय में दलाल राज है। लर्निंग लाइसेंस से लेकर वाहनों के फिटनेस तक सारे काम दलाल करा रहे हैं। जो सेवा शुल्क देकर अपनी फाइल बढ़वाता है उनके काम ग्वालियर जाकर बाबू फाइल ओके करा लाते हैं। जो सेवा शुल्क नहीं देता, उन्हें उत्तर मिलता है कि मेडम वाहन हैं। मेडम के आने पर काम होंगे। कई लोग शिकायत भी दर्ज कराना चाहते हैं लेकिन किससे अपनी पीड़ा कहें, यहां पर कोई देखने सुनने वाला ही नहीं।
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कई दलालों से की मुलाकात
दलाल ने हमें सभी दस्तावेज बताए। कहा कि लर्निंग लाइसेंस दो से तीन घंटे में दे दूंगा। रिपोर्टर ने फीस पूछी तो उसने पहले 1400 रुपए बताए। जोर देने पर 1300 रुपए बता दिए। उसने दावा किया कि सरकारी प्रक्रिया पूरी करोगे तो 15 से 20 दिन लग जाएंगे। इसके बाद हम एक और दलाल के पास पहुंचे। उसने भी पहले तो 1400 रुपए में लाइसेंस के लिए सहमति दी लेकिन शक होने पर उसने कहा कि फिलहाल समय नहीं है।
-परिवहन अधिकारी का हैं पूर्ण संरक्षण
-आम नागरिकों ने जिलाधीश से परिवहन कार्य करवाने की लगाई गुहार
शिवपुरी ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना हैं कि डिजीटल इंडिया बने इसके लिए लगातार प्रधानमंत्री जी सभी विभागों को ऑनलाईन पद्धति से जोडऩे में लगे हुए हैं। शिवपुरी का जिला परिवहन कार्यालय ऑन लाईन तो हो गया, लेकिन ऑन लाईन काम नहीं हो पा रहे हैं इतना ही नहीं यहां पर साधारण व्यक्ति यदि अपना वाहन हस्तांतरण कराने या फिर ड्रायविंग लाईसें बनाने के लिए कार्यालय में दर्जनों के चक्कर लगाने के बाद भी यहां उनका कार्य होना नामुमकिन हैं, क्योंकि सूत्रों की मानें तो जिला परिवहन अधिकारी महिला समय पर न तो कार्यालय में आती हैं, न ही फाईलों को देखती हैं, इसलिए आज भी कार्यालय में दर्जनों फाईल धूल खाती हुई मिल जाएगी। लेकिन शिवपुरी जिला परिवहन कार्यालय पर आम उपभोक्ताओं के लिए संचालित एकल खिड़की प्रणाली चालू की लेकिन यहां पर आम उपभोक्ताओं के कार्य कराना बड़ा पेचीदा हैं, क्योंकि यहां सेवानिवृत्त कर्मचारी वाहन हस्तांतरण कराने आने वाले नागरिकों के लिए दर्जनों कमियां निकाल कर परेशान करने में लगे रहते हैं। इस कारण आम उपभोक्ता दलालों के माध्यम से जिला परिवहन कार्यालय में अपने वाहनों के हस्तांतरण कराना या फिर ड्राईविंग लाईसेंस बनाने के लिए हजारों रूपए देना पड़ रहे हैं। इस बात की जानकारी स्थानीय वरिष्ठ अधिकारियों को होने के बाद भी इस भ्रष्टाचारी प्रथा की ओर किसी का भी कोई ध्यान नहीं हैं।
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500 से अधिक फाईल पड़ी हैं विभाग में लटकी
जिला परिवहन कार्यालय में यदि गौर करें तो कई ग्रामीण नागरिक शहर से 10 किमी.दूर स्थित परिवहन कार्यालय में अपने वाहनों को हस्तांतरण कराने, या फिर ड्राईविंग लाईसेंस या फिटनेश बनबाने जैसे कई कामों के लिए यदि वह सीधा संपर्क करता हैं तो इन दिनों कार्यालय में वैश्विक बीमारी कोरोना के वाहने चैनलों में ताले पड़े रहते हैं। इस कारण कार्यालय इन दिनों 500 से अधिक फाईलें जिला परिवहन अधिकारी द्वारा लटका कर रख रखी हैं और वह धूल खा रही हैं। यदि यहीं फाईल किसी दलाल के माध्यम से जाती तो शायद उनका काम हो जाता। ग्रामीणों का कहना हैं कि पिछले तीन माह से ट्रेक्ट को हस्तांतरण कराने के लिए परिवहन कार्यालय के चक्कर लगा रहा हूं लेकिन आज तक उसके दस्तावेज ट्रास्पर नहीं हो पाए हैं।
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दफ्तर में दलालों का राज
जिला परिवहन कार्यालय में दलाल राज है। लर्निंग लाइसेंस से लेकर वाहनों के फिटनेस तक सारे काम दलाल करा रहे हैं। जो सेवा शुल्क देकर अपनी फाइल बढ़वाता है उनके काम ग्वालियर जाकर बाबू फाइल ओके करा लाते हैं। जो सेवा शुल्क नहीं देता, उन्हें उत्तर मिलता है कि मेडम वाहन हैं। मेडम के आने पर काम होंगे। कई लोग शिकायत भी दर्ज कराना चाहते हैं लेकिन किससे अपनी पीड़ा कहें, यहां पर कोई देखने सुनने वाला ही नहीं।
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कई दलालों से की मुलाकात
दलाल ने हमें सभी दस्तावेज बताए। कहा कि लर्निंग लाइसेंस दो से तीन घंटे में दे दूंगा। रिपोर्टर ने फीस पूछी तो उसने पहले 1400 रुपए बताए। जोर देने पर 1300 रुपए बता दिए। उसने दावा किया कि सरकारी प्रक्रिया पूरी करोगे तो 15 से 20 दिन लग जाएंगे। इसके बाद हम एक और दलाल के पास पहुंचे। उसने भी पहले तो 1400 रुपए में लाइसेंस के लिए सहमति दी लेकिन शक होने पर उसने कहा कि फिलहाल समय नहीं है।
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