Ticker

6/recent/ticker-posts

भू माफियाओं द्वारा काटी गई कॉलोनियों में अव्यवस्थाओं का अम्बार



भू माफियाओं द्वारा काटी गई कॉलोनियों में अव्यवस्थाओं का अम्बार
-कीचड़ युक्त दल-दल मैं से नहीं निकल पा रहे नागरिक 
-बिजली की व्यवस्था न होने से कई कॉलोनियों में खुले में पड़े विद्युत तार 
शिवपुरी ब्यूरो। शहर में भले ही नगर पालिका प्रशासन वैध कॉलोनियों में सब सुविधायें मुहैया कराने का वायदा कर रही हैं, लेकिन दर्जनों कॉलोनी शहर में भू माफियाओं द्वारा काट कर उन्हें रहवासी तो बना दिया गया, लेकिन इन कॉलोनियों में सुविधायें उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं, यहां के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शहर के प्रतिष्ठित जनप्रतिनिधि द्वारा बड़े-बड़े सपने दिखाकर शहर की  सक्र्यूलर रोड़, केटीएम कॉलेज के पीछे, वृन्दवान कॉलोनी, न्यू शिव कॉलोनी, मनियर स्थित मुदगल कॉलोनी, सर्किट हाउस से लेकर रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग पर दर्जनों अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं। इतना ही नहीं शहर के दर्जनों नागरिकों को बहला फुसलाकर उन्हें महंगी रेट पर प्लॉट उपलब्ध करा दिया जाता हैं और उसे अपने हाल पर छोड़ दिया जाता हैं। इतना ही नहीं उसके बाद उस कॉलोनी में न तो बिजली की व्यवस्था की जाती हैं और नही सड़क की। ऐसी स्थिति में बारिश का मौसम में शहर की दर्जनों कॉलोनियों नागरिकों को चलने के लिए सड़क तक उपलब्ध नहीं रहती हैं। जिससे वहां के नागरिक काफी परेशान होते रहते हैं और उस भू माफिया को भी कोसते रहते हैं। इतना ही नहीं यह नागरिक इन अवैध कॉलोनियों में सुविधा मुहैया कराने के लिए नगर पालिका के चक्कर लगाते हैं। जबकि इन अवैध कॉलोनियों काटने वाले नागरिक द्वारा नपा को न तो शहर विकास का शुल्क जमा कराते हैं और न ही डायवर्सन शुल्क ऐसी स्थिति में शासन को तो टेक्स भी अदा नहीं करते हैं। वहीं दूसरी तरफ यह अवैध भू माफिया विद्युत विभाग की भी बिजली चोरी कराने में भी पीछे नहीं रहते हैं। क्योंकि इन अवैध कॉलोनियों काटने वाले भू माफियाओं द्वारा बगैर परमीशन के विद्युत पोल तो गाड़ लिए जाते हैं, लेकिन न तो उनकी विभाग से स्वीकृति ली जाती हैं और न डीपी रखवाई जाती हैं। जिससे प्लाट लेने वाले नागरिक बिजली कनेक्शन के लिए विद्युत कर्मचारियों के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन उन्हें समय पर कनेक्शन भी उपलब्ध नहीं हो पाता हैं। इस कारण इधर उधर से लाईट ले लेते हैं तो विद्युत विभाग के कर्मचारी उन्हें चोरी की लाईट जाने की कहर उन पर कार्यवाही करते हैं। ऐसी स्थिति में भू माफिया तो बच जाता हैं लेकिन प्लाट लेकर मकान बनाने वाला नागरिक चोर घोषित कर दिया जाता हैं। यदि भू माफिया द्वारा कॉलोनी को विकसित करके देता तो शायद न तो शासन को टेक्स चोरी होता और न ही बिजली चोरी क्योंकि नियमानुसार उसे मीटर भी मिल जाता और भू माफिया द्वारा विकास शुल्क जमा किया होता तो नगर पालिका द्वारा रोड़ सुविधा भी उपलब्ध करा दी जाती हैं। 
वॉक्स:-
पटवारियों से लेकर अधिकारियों तक भू माफियाओं की सेंटिंग
सूत्रों की मानें तो शहर के बीचों बीच में कट रही अवैध कॉलोनियों में भू माफियाओं की अधिकारियों एवं पटवारियों से सेंटिंग होने के कारण कई कॉलोनियों के नागरिक परेशान बने हुए हैं। क्योंकि भू माफियाओं द्वारा जहां कॉलोनी काटी जाती हैं उन कॉलोनियों में दर्ज शासकीय जमीनों को भी इन भू माफियाओं द्वारा नाप दिया जाता हैं, जिससे प्लाट लेने वाला नागरिक उसकी चपेट में आ जाते हैं और कॉलोनी काटने वाला भू माफिया जमीन बेचकर दूर हो जाते हैं, लेकिन बाद में यहीं पटवारी उस प्लाट वाले को नोटिस देकर उस पर कार्यवाही के नाम पर राशी ऐंठने में लगे रहते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण गौरव सिंघल हैं। 
वॉक्स:-
इस खेल में सत्ताधारी दल के कई नेता भी शामिल 
बताया तो यह भी जा रहा हैं कि शहर में इन दिनों अवैध भू माफियाओं का खेल खुलेआम चल रहा हैं। जिसमें पिछले कांग्रेस शासन काल में जिला प्रशासन ने 57  अवैध भू माफियाओं की सूची तैयार करके भू माफियाओं पर कार्यवाही करने का ताना बाना तो बुन लिया था, लेकिन सूत्रों की मानें तो अचानक इन भू माफियाओं द्वारा शासकीय मशीनरी को सुविधा शुल्क देकर दवा लिया गया, लेकिन एकाएक सत्ता बदल गई और अब सत्ताधारी दल के नेता इस कार्य में शामिल हैं। इस कारण जिला प्रशासन इन अवैध भू माफियाओं पर कार्यवाही करने से कतरा रहा हैं। अब देखना यह हैं कि शिवराज सरकार कमलनाथ सरकार की तर्ज पर इन अवैध भू माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही कर पाते हैं या नहीं? 
Post Navi

Post a Comment

0 Comments