कांग्रेस और भाजपा में टिकट को लेकर विकट घमासान तय
-पोहरी और करेरा में दोनों ही दलों में बागी ठोकेंगे ताल
- दम से पिटेगा बगावत का ढोल, खूंटी पर टंगे दिखेंगे अनुशासन के बोल
विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में बगावत का ढोल पिटेगा। भारतीय जनता पार्टी यह स्पष्ट कर चुकी है कि कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए सभी पूर्व विधायकों को पार्टी की ओर से टिकट दिया जाएगा, परिस्थिति वश 2 या 3 टिकट बदल जाऐं तो बात अलग है। इन परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी के भीतर बगावत होना बिल्कुल तय माना जा रहा है। असंतोष के स्वर अभी से बुलंद होने भी लगे हैं उधर कांग्रेस अपने दावेदारों की बजाए भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर टकटकी लगाए हुए हैं और उन्हें पार्टी में शामिल करने को लेकर आतुर भी दिखाई दे रही है। अधिकांश स्थानों पर भाजपा के कद्दावर नेताओं को टिकट की भी पेशकश कांग्रेस द्वारा की जा सकती है तब की स्थिति में कांग्रेस में भी बगावत का शंख फुं कना तय है।
दोनों ही पार्टियों में टिकट दावेदारों के बीच घमासान तेज हो गया है। जब दोनों ही दलों के दावेदारों के मंसूबे टिकट ना मिलने पर टूटेंगे तो इन दोनों ही दलों के बागी भी निर्दलीय मैदान में ताल ठोकेंगे। ऐसा पहले भी हुआ है और इस बार तो संभावना और अधिक बनती दिखाई दे रही है। शिवपुरी जिले की बात करें तो यहां पोहरी और करैरा विधानसभा में उपचुनाव होना है।
क्या रहेंगे पोहरी के हालात –
पोहरी में भारतीय जनता पार्टी से प्रहलाद भारती और नरेंद्र बिरथरे तेरे जैसे पूर्व विधायक टिकट की दावेदारी में है, मगर कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए सुरेश धाकड़ को भाजपा टिकट का कमिटमेंट पहले ही कर चुकी है, ऐसे में इन दोनों दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फि रना तय है। प्रहलाद भारती और नरेंद्र बिरथरे भारतीय जनता पार्टी के लिए कांग्रेसी पृष्ठभूमि के उम्मीदवार को वोट मांगने जनता के बीच जाएंगे इसकी संभावना ना के बराबर है, जाएंगे भी तो औपचारिकता मात्र होगी क्योंकि सीधी सी बात है कि कोई भी अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी क्यों चलाएगा। नरेंद्र बिरथरे के घर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत की बैठक और नरेंद्र सिंह तोमर की बैठक से नरेंद्र बिरथरे की गैरमौजूदगी उनके असंतोष को बयां करने के लिए काफ ी है। भाजपा से बगावत कर बहुजन समाज पार्टी से पिछला चुनाव लड़ कर भाजपा को तीसरे स्थान पर धकेलने वाले बसपा नेता कैलाश कुशवाहा इस बार फिर से दम दिखाने की तजबीज में हैं ऐसे में यहां दलीय मुकाबला ही त्रिकोणीय हो जाएगा ऊपर से बागी कूदे तो जंग दिलचस्प होना तय है। अब बात करें कांग्रेस की तो यहां टिकट के कई दावेदार हैं जिनमें पूर्व विधायक हरीवल्लभ शुक्ला और उनके पुत्र आलोक शुक्ला ने तो बिना पार्टी की हरी झंडी के ही गांव.गांव जनसंपर्क शुरू भी कर दिया है। ये खुद को उम्मीदवार मानकर चल रहे हैं। कांग्रेस का टिकट मिले या ना मिले इसकी परवाह हरीवल्लभ करेंगे ऐसा नहीं माना जा सकता क्योंकि उनकी पृष्ठभूमि बगावत की रही है और वे उम्र के इस मुकाम पर अपने इन बागी तेवरों को छोड़ देंगे इसकी संभावना शून्य है। वह 70 साला नेताओं की लिस्ट में होने के चलते यदि टिकट फ ार्मूले के तहत टिकट से वंचित होते हैं तो उनके पास अपने पुत्र का विकल्प मौजूद है। इनके अलावा पोहरी में पूर्व विधायक जगदीश वर्मा के पुत्र प्रद्युम्न वर्मा, जनपद वाले प्रद्युम्न वर्मा, देववृत शर्मा, आनंद धाकड़, संजीव शर्मा बंटी, लक्ष्मीनारायण धाकड़ विनोद धाकड़ सहित कई दावेदार कतार में है। कांग्रेस तो यहां नरेंद्र बिरथरे पर भी डोरे डाल रही है इन परिस्थितियों में पोहरी में कांग्रेस में घमासान विकट है लेकिन असंतोष दोनों ही तरफ बराबर होना तय है। आयातित उम्मीदवार की बात करें तो यहां से रामनिवास रावत भी अपनी जमीन तलाशने में लगे हैं। टिकट ना मिलने पर हरीवल्लभ शुक्ला का बागी तेवर अपनाना सुनिश्चित माना जा रहा है।
-करैरा में बागियों का कसबल –
करेरा सीट पर देखें तो यहां भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से त्यागपत्र देकर आए पूर्व विधायक जसवंत जाटव को अपना उम्मीदवार मानकर चल रही है, और उन्हें टिकट मिलना भी लगभग तय है। ऐसे में यहां से भाजपा के टिकट तलबगार गत चुनाव में भाजपा के रमेश खटीक की बगावत से हारे राजकुमार खटीक, पूर्व बागी भाजपा विधायक रमेश खटीक भाजपा के आयातित प्रत्याशी जसमंत का साथ दे पाएंगे इसमें पर्याप्त संशय है। यहां कांग्रेस में भी टिकट तलबगारों की लंबी फेहरिस्त है। यहां से योगेश करारे, शिवचरण करारे, पूर्व विधायक शकुंतला खटीक, केएल राय, सतीश फौजी दिनेश परिहार भी पूरी तैयारी में हैं, लेकिन ज्यादातर उम्मीदवार सिंधिया निष्ठ होने के कारण कांग्रेस की डाउट लिस्ट में है। इन हालातों में बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में हाल ही शामिल हुए प्रागीलाल जाटव को कांग्रेस मैदान में उतार सकती है। प्रागी लाल के खिलाफ यह तमाम टिकट तलबगार लामबंद होकर भोपाल में विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं। सीधी सी बात है यदि प्रागीलाल को टिकट मिलता है तो यहां कांग्रेस में बगावत जोरदार होगी लेकिन यह भी सही है कि पिछले चुनावों में प्राणी लाल जाटव ने बहुजन समाज पार्टी से होते हुए भी जिस तरह की परफारमेंस दी है और जो वोट प्रतिशत उन्हें मिला है उसके दृष्टिगत उनकी दावेदारी को कांग्रेस आसानी से नजरअंदाज नहीं कर सकती। वैसे भी राजनीति में अब बागी और दागी कोई नया चलन नहीं है यह राजनीति के मान्य परंपरा हो गई है, जो जीता वही सिकंदर कहा जाता है। ऐसे में पार्टी नेताओं का कोई मोल ना तो भारतीय जनता पार्टी जैसी केडरबेस कही जाने वाली पार्टी में रहा और ना ही कांग्रेस में नजर आता। दलबदलुओं के दम पर जब सरकार बन सकती है तो नीचे के स्तर पर अनुशासन की दुहाई देना हास्यास्पद ही प्रतीत होता है।
-पोहरी और करेरा में दोनों ही दलों में बागी ठोकेंगे ताल
- दम से पिटेगा बगावत का ढोल, खूंटी पर टंगे दिखेंगे अनुशासन के बोल
विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में बगावत का ढोल पिटेगा। भारतीय जनता पार्टी यह स्पष्ट कर चुकी है कि कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए सभी पूर्व विधायकों को पार्टी की ओर से टिकट दिया जाएगा, परिस्थिति वश 2 या 3 टिकट बदल जाऐं तो बात अलग है। इन परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी के भीतर बगावत होना बिल्कुल तय माना जा रहा है। असंतोष के स्वर अभी से बुलंद होने भी लगे हैं उधर कांग्रेस अपने दावेदारों की बजाए भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर टकटकी लगाए हुए हैं और उन्हें पार्टी में शामिल करने को लेकर आतुर भी दिखाई दे रही है। अधिकांश स्थानों पर भाजपा के कद्दावर नेताओं को टिकट की भी पेशकश कांग्रेस द्वारा की जा सकती है तब की स्थिति में कांग्रेस में भी बगावत का शंख फुं कना तय है।
दोनों ही पार्टियों में टिकट दावेदारों के बीच घमासान तेज हो गया है। जब दोनों ही दलों के दावेदारों के मंसूबे टिकट ना मिलने पर टूटेंगे तो इन दोनों ही दलों के बागी भी निर्दलीय मैदान में ताल ठोकेंगे। ऐसा पहले भी हुआ है और इस बार तो संभावना और अधिक बनती दिखाई दे रही है। शिवपुरी जिले की बात करें तो यहां पोहरी और करैरा विधानसभा में उपचुनाव होना है।
क्या रहेंगे पोहरी के हालात –
पोहरी में भारतीय जनता पार्टी से प्रहलाद भारती और नरेंद्र बिरथरे तेरे जैसे पूर्व विधायक टिकट की दावेदारी में है, मगर कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए सुरेश धाकड़ को भाजपा टिकट का कमिटमेंट पहले ही कर चुकी है, ऐसे में इन दोनों दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फि रना तय है। प्रहलाद भारती और नरेंद्र बिरथरे भारतीय जनता पार्टी के लिए कांग्रेसी पृष्ठभूमि के उम्मीदवार को वोट मांगने जनता के बीच जाएंगे इसकी संभावना ना के बराबर है, जाएंगे भी तो औपचारिकता मात्र होगी क्योंकि सीधी सी बात है कि कोई भी अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी क्यों चलाएगा। नरेंद्र बिरथरे के घर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत की बैठक और नरेंद्र सिंह तोमर की बैठक से नरेंद्र बिरथरे की गैरमौजूदगी उनके असंतोष को बयां करने के लिए काफ ी है। भाजपा से बगावत कर बहुजन समाज पार्टी से पिछला चुनाव लड़ कर भाजपा को तीसरे स्थान पर धकेलने वाले बसपा नेता कैलाश कुशवाहा इस बार फिर से दम दिखाने की तजबीज में हैं ऐसे में यहां दलीय मुकाबला ही त्रिकोणीय हो जाएगा ऊपर से बागी कूदे तो जंग दिलचस्प होना तय है। अब बात करें कांग्रेस की तो यहां टिकट के कई दावेदार हैं जिनमें पूर्व विधायक हरीवल्लभ शुक्ला और उनके पुत्र आलोक शुक्ला ने तो बिना पार्टी की हरी झंडी के ही गांव.गांव जनसंपर्क शुरू भी कर दिया है। ये खुद को उम्मीदवार मानकर चल रहे हैं। कांग्रेस का टिकट मिले या ना मिले इसकी परवाह हरीवल्लभ करेंगे ऐसा नहीं माना जा सकता क्योंकि उनकी पृष्ठभूमि बगावत की रही है और वे उम्र के इस मुकाम पर अपने इन बागी तेवरों को छोड़ देंगे इसकी संभावना शून्य है। वह 70 साला नेताओं की लिस्ट में होने के चलते यदि टिकट फ ार्मूले के तहत टिकट से वंचित होते हैं तो उनके पास अपने पुत्र का विकल्प मौजूद है। इनके अलावा पोहरी में पूर्व विधायक जगदीश वर्मा के पुत्र प्रद्युम्न वर्मा, जनपद वाले प्रद्युम्न वर्मा, देववृत शर्मा, आनंद धाकड़, संजीव शर्मा बंटी, लक्ष्मीनारायण धाकड़ विनोद धाकड़ सहित कई दावेदार कतार में है। कांग्रेस तो यहां नरेंद्र बिरथरे पर भी डोरे डाल रही है इन परिस्थितियों में पोहरी में कांग्रेस में घमासान विकट है लेकिन असंतोष दोनों ही तरफ बराबर होना तय है। आयातित उम्मीदवार की बात करें तो यहां से रामनिवास रावत भी अपनी जमीन तलाशने में लगे हैं। टिकट ना मिलने पर हरीवल्लभ शुक्ला का बागी तेवर अपनाना सुनिश्चित माना जा रहा है।
-करैरा में बागियों का कसबल –
करेरा सीट पर देखें तो यहां भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से त्यागपत्र देकर आए पूर्व विधायक जसवंत जाटव को अपना उम्मीदवार मानकर चल रही है, और उन्हें टिकट मिलना भी लगभग तय है। ऐसे में यहां से भाजपा के टिकट तलबगार गत चुनाव में भाजपा के रमेश खटीक की बगावत से हारे राजकुमार खटीक, पूर्व बागी भाजपा विधायक रमेश खटीक भाजपा के आयातित प्रत्याशी जसमंत का साथ दे पाएंगे इसमें पर्याप्त संशय है। यहां कांग्रेस में भी टिकट तलबगारों की लंबी फेहरिस्त है। यहां से योगेश करारे, शिवचरण करारे, पूर्व विधायक शकुंतला खटीक, केएल राय, सतीश फौजी दिनेश परिहार भी पूरी तैयारी में हैं, लेकिन ज्यादातर उम्मीदवार सिंधिया निष्ठ होने के कारण कांग्रेस की डाउट लिस्ट में है। इन हालातों में बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में हाल ही शामिल हुए प्रागीलाल जाटव को कांग्रेस मैदान में उतार सकती है। प्रागी लाल के खिलाफ यह तमाम टिकट तलबगार लामबंद होकर भोपाल में विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं। सीधी सी बात है यदि प्रागीलाल को टिकट मिलता है तो यहां कांग्रेस में बगावत जोरदार होगी लेकिन यह भी सही है कि पिछले चुनावों में प्राणी लाल जाटव ने बहुजन समाज पार्टी से होते हुए भी जिस तरह की परफारमेंस दी है और जो वोट प्रतिशत उन्हें मिला है उसके दृष्टिगत उनकी दावेदारी को कांग्रेस आसानी से नजरअंदाज नहीं कर सकती। वैसे भी राजनीति में अब बागी और दागी कोई नया चलन नहीं है यह राजनीति के मान्य परंपरा हो गई है, जो जीता वही सिकंदर कहा जाता है। ऐसे में पार्टी नेताओं का कोई मोल ना तो भारतीय जनता पार्टी जैसी केडरबेस कही जाने वाली पार्टी में रहा और ना ही कांग्रेस में नजर आता। दलबदलुओं के दम पर जब सरकार बन सकती है तो नीचे के स्तर पर अनुशासन की दुहाई देना हास्यास्पद ही प्रतीत होता है।
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