सिंधिया की गैर मौजूदगी और बसपा की उपस्थित में क्या कांग्रेस पुन: प्राप्त कर सकेगी अपनी दोनों सीटें
-भाजपा के सामने भी आपसी सामंजस्य बिठालने का संकट
शिवपुरी ब्यूरो। प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के साथ ही जिले की दो विधानसभा पोहरी, करैरा में भी चुनाव संपन्न होना हैं कांग्रेस के खाते वाली इन दोनों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस कब्जा जमाने के लिए प्रयासरत हैं। राजनीति के बदले हुए परिदृश्य के चलते कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बिना कांग्रेस के सामने इन सीटों पर पुन: अपना कब्जा जमाने की चुनौती सामने हैं कांग्रेस की चुनौती को बसपा सुप्रिमो मायावती ने और बल दे दिया हैं। उप चुनाव में अमूमन बाहर रहने वाली बसपा भी प्रदेश में होने वाले 24 विधानसभा सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। सिंधिया परिवार के राजनैतिक बर्चस्व पर प्रकाश डालाने पर पता चलता हैं कि मध्य प्रदेश की राजनीति का केन्द्र बिन्दु कहे जाने वाले ग्वालियर चम्बल संभाग के आठ जिलों की 34 विधानसभा सीटों पर स्वतंत्र मध्य प्रदेश के बाद से लेकर आज तक बर्चस्व कायम हैं।
कांग्रेस पार्टी में रहते हुए स्व. माधवराव सिंधिया उनके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर चम्बल संभाग में कांग्रेस के दिग्गज नेता श्यामाचरण शुक्ल, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह,राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुट का उदय नहीं होने दिया। लोकसभा, विधानसभा से लेकर जनपद एवं नगर पंचायत स्तर के चुनावों में सिंधिया के हिसाब से ही प्रत्याशी तय किए जाते रहे हैं। डेढ़ वर्ष पूर्व हुए विधानसभा के आम चुनाव में ग्वालियर-चम्बल संभाग की 34 में 26 सीटों पर सिंधिया समर्थक अथवा सिंधिया के समर्थन से विधायक चुने गए थे।
इन्हीं 26 विधायकों के बल बुते पर प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का गठन हुआ था, लेकिन मध्य प्रदेश में कई गुटों में विभाजित कांग्रेसी नेताओं की आपसी खींचतान के चलते कमलनाथ अपनी सरकार को बचाने में न केवल सफल हुए बल्कि अपने शीर्ष नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कांग्रेस से अलग कर दिया। सिंधिया के भाजपा में जाने के साथ ही एक ओर जहां भाजपा और अधिक मजबूत स्थिति में खड़ी होगी, वहीं कांग्रेस के सामने ग्वालियर चम्बल संभाग नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया हैं। जन मानस में चर्चा का विषय बना हुआ हैं कि क्या कांग्रेस सिंधिया की गैर मौजूदगी में अपनी खोई हुई करैरा-पोहरी विधानसभा सीटों को पुन: प्राप्त करने में सफल हो पाएगी।
भाजपा की बात करें तो उसके सामने भी उप चुनाव जीतने के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के साथ भाजपा में आए करैरा विधायक जसवंत जाटव और पोहरी के विधायक सुरेश राठखेड़ा जो विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए हैं। उनको भाजपा अपना उम्मीदवार बनाएगी, ऐसा तय माना जा रहा हैं। डेढ़ वर्ष के कांग्रेसी सरकार के कार्यकाल में इन दोनों विधायकों ने जनहित में कोई उपलब्धि भरा काम क्षेत्र में किया हैं जिस कार्य के दम पर उप चुनाव में जनता के सामने रखकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर सकें।
ऐसा कुछ नहीं हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेता इन दोनों विधायकों को कितना आत्मसात करते हैं। यह कहना अभी जल्दवाजी होगी। चर्चा यह भी हैं कि पोहरी और करैरा में टिकिट के दावेदार भाजपा नेता जिसमें दो पूर्व विधायक शामिल हैं। आज कल पार्टी के निर्णय असंतुष्ठ दिखाई दे रहे हैं। इन दोनों विधायकों को पार्टी कितना संतुष्ठ कर पाती हैं। हालांकि भाजपा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए उनके बीच लगातार बैठकें कराई जा रही हैं। साथ ही चुनाव जीतने की रणनीति तय की जा रही हैं। वहीं कांग्रेस भी चुनावी तैयारी में जुटी हुई हैं। इन दोनों क्षेत्रों से कांग्रेस के पास टिकिट देने के लिए जनता के बीच सर्वस्वीकार्य और निष्पक्ष छवि वाले नेताओं का टोटा बना हुआ हैं।
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बसपा ने आम चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा भाजपा को पहुंचाया नुकसान
डेढ वर्ष पूर्व हुए करैरा-पोहरी विधानसभा क्षेत्र के आम चुनाव में बसपा के प्रत्याशी ने कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा को भी सत्ता में जाने से रोकने का काम किया। पोहरी क्षेत्र की बात करें तो यहां बसपा के कारण भाजपा तीसरे नम्बर पर पहुंच गई थी। भाजपा से बसपा में गए कैलाश कुशवाह को बसपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था। श्री कुशवाह ने कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के परंपरागत वोटरों को अपने पक्ष में करने सफल हुए। कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राठखेड़ा को 60654 मत प्राप्त हुए वहीं को बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह को 52736 और भाजपा प्रहलाद भारती को 37268 मत प्राप्त हुए। वहीं करैरा में कांग्रेस प्रत्याशी जसवंत जाटव को 64201 भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक को 49377 और बसपा प्रत्याशी प्रागीलाल को 40026 मत प्राप्त हुए।
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छलिया और जनता के बीच होगा पोहरी करैरा का चुनाव: श्रीप्रकाश
कांग्रेस के नव नियुक्त जिलाध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा ने चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा पोहरी और करैरा के उप चुनाव में भाजपा कहीं पिक्चर में नहीं हैं क्योंकि यह चुनाव छल और कुलघाती उन विधायक जिनको जनता ने डेढ वर्ष पूर्व कांग्रेस के बैनर पर जिताकर विधानसभा भेजा था उनके और जनता के बीच में चुनाव होगा। जनता इन विधायकों से बदला लेने के लिए तैयार बैठी हैं सिर्फ इंतजार हैं चुनाव का हैं। कांग्रेस में सिंधिया की गैर मौजूदगी के सवाल का जवाब देते हुए श्री शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के कारण सिंधिया हिन्दुस्तान के नक्शे पर नेता के रूप में उभरकर सामने आए कांग्रेस ने जितना सम्मान सिंधिया को दिया उतना भाजपा कभी नहीं दे सकती। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जो कांग्रेस (घर) छोड़कर अन्य दल में गए उनके क्या हालात हैं यह वालेन्दु शुक्ला, गुड्डू, राकेश चौधरी से पता लगता हैं। ये सभी नेता भाजपा से दु:खी होकर आज कांग्रेस में पुन: आ गए हैं और जो नेता रह गए वह कांग्रेस में आने के लिए आतुर हैं। उन्होंने सिंधिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि सिंधिया ने बहुत बड़ा पाप किया हैं उस पाप के तहत जनता की चुनी हुई सरकार को पटक दिया। यदि वह कांग्रेस के नेताओं से दुखी और नाराज थे तो वह पार्टी के भीतर अपनी बात रखते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए सिंधिया और 22 विधायकों की पूरी सच्चाई मीडिया के माध्यम से जनता के सामने पहुंच चुकी हैं जिसका परिणाम होने वाले उप चुनाव में देखने को मिलेगा।
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कांग्रेस मुक्त हो चुकी पोहरी-करैरा की सीटों को भारी बहुमतों से जीतेगी भाजपा: राजू बाथम
भाजपा के जिलाध्यक्ष राजू बाथम ने चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के द्वारा चुनाव के समय जो वायदे किए थे उन वायदों को कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पूरे नहीं कर पाई। वायदे के मुताबिक न तो उन्होंने किसानों को दो-दो लाख रूपए दिए और न ही बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया। गांव गरीब और किसानों के लिए शिवराज सरकार ने जो जनहितैषी लाड़ली लक्ष्मी योजना, संबल योजना, तीर्थ दर्शन योजना, बिजली सहित अन्य सभी योजनायें बंद कर दी लेकिन अब प्रदेश में गांव गरीब की चिंता करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पहले दिन से ही गरीबों की चिंता करना शुरू कर दी। श्री बाथम ने कहा कि कांग्रेस ने सिंधिया पर धोखा देने का आरोप लगा रही हैं, लेकिन सच्चाई यह हैं कि सिंधिया ने चुनाव के समय किसानों से कर्जमाफी, बेरोजगारों को भत्ता, गरीबों के दो लाख रूपए, देने सहित अन्य जो बायदे किए थे उन वायदों को कमलनाथ सरकार भूल गई। जिसके कारण वह भाजपा के साथ हैं। निश्चित रूप से सिंधिया के भाजपा में आने से भाजपा के साथ-साथ देश का भी भला होगा।
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