-पीआईसी सदस्य और अध्यक्ष की मिली भगत चर्चा में
-परिषद की नहीं मिली स्वीकृति, अध्यक्ष से हो सकती हैं बसूली
शिवपुरी ब्यूरो। नगर पालिका शिवपुरी के अध्यक्ष की कुर्सी पर मुन्नालाल कुशवाह के विराजमान होते ही भ्रष्टाचारी के लिए हमेशा से ही चर्चित रही हैं। सिंध जलावधर्न, सीवेज प्रोजेक्ट, केबिल खरीद, लाईट खरीद, मोटर डालने निकालने का मामला के साथ-साथ अब निर्माण कार्यो में भी बड़े स्तर पर घोटाले किए गए। निजी स्तर पर नपा अध्यक्ष की जो समझ में आया उसी कार्य को शासकीय धन के बल पर अंजाम दिया गया। फिर चाहे परिषद के सदस्यों द्वारा उन्हें नकार दिया गया हो। इतना ही नहीं नगर पालिका की परिषद की बैठक में पार्षदों के बार-बार मांगने के बाद भी पीआईसी के एजेंडों की छायाप्रति अंतिम समय तक उपलब्ध नहीं कराई गई।
नपा की पीआई जिसे प्रेसिडेंट आफ काउसिल कहा जाता हैं। जिसे आम भाषा में अध्यक्ष की किचिन केबिनेट कहा जाता हैं। इस किचिन कैबिनेट में पिछले 5 वर्ष में लगभग 15 करोड रूपए के घोटाले को पकाए जाने की खबर आ रही हें। बताया जा रहा हैं कि मुन्नालाल के कार्यकाल की पीआईसी में स्वीेकार किए गए सभी कार्य नियम विरूद्ध हो गए, क्योंकि इन सब प्रस्तावों को परिषद की स्वीकृती नहीें मिली। इस बीच परिषद का कार्यकाल खत्म हो गया। लेकिन लंबित चल रहे ढाई हजार प्रकरणों को परिषद ने पास नहीं किया। विभिन्न कार्यो में खर्च की गई राशि की रिकवरी भी पूर्व अध्यक्ष व सीएमओ से हो जाती है,क्योंकि की इन सभी 15 करोड़ के कार्यो की स्वीकृति परिषद की बैठक में नही दी गई हैं इस कारण यह सव कार्य नियम विरूद्ध हो गए हैं।
बताया जा रहा हैं कि ऐसे 2500 प्रस्ताव पीआईसी ने स्वीकार किए थे,जिन्हें परिषद ने ठुकरा दिया। परिषद में यह सभी कार्य रखे गए थे लेकिन पार्षदों ने इन कार्यों को पास करने से हाथ खड़े कर दिए। नियमानुसार परिषद में जो भी प्रस्ताव पास नही किए जाते उनका निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता हैं।
ऐसे ही शहर में हुए 15 करोड के कार्य बिना परिषद के स्वीकृति के किए गए और उनका भुगतान भी कर दिया गया हैं। नियमानुसार यह कार्य स्वीकृत ही नही हुए और फिर इनका निर्माण कार्य कैसे कर दिया और भुगतान भी कैसे हो गया? यह बडा सवाल बनकर उभर रहा हैं। पार्षदों की आखिरी बैठक के अलावा इससे पूर्व हुई परिषद की प्रत्येक बैठक में पीआईसी का मुद्दा सामने आया और हर बार पार्षदों ने किए गए कामों और उनके खर्च की गई राशि का ब्योरा मांगा, तो नगरपालिका अध्यक्ष सहित अन्य जिम्मेदार वह उपलब्ध नहीं करा सके। पांच माह में पूर्व परिषद की बैठक में जब पार्षदों ने पीआईसी के मामलों को स्वीकृती देेने से पर्व यह शर्त रखी थी कि प्रस्ताव की फोटोकॉपी हमेें दी जाए। उस बैठक में यह तय हुआ था कि अगली बार प्रस्ताव की कॉपी वितरित की जाएगी। परिषद की अगली बैठक में पीआईसी के प्रस्ताव की फोटोकॉपी करवाने के साथ ही उसे जब पार्षदों को वितरित किया तो उसमें किसी के भी हस्ताक्षर नहीं थे। जिसके चलते उन फोटो कॉपियों को हवा में उड़ा दिया गया। इतना ही नहीं इन प्रस्ताव की फोटोकॉपी में भी ढाई लाख रुपए का घोटाला कर दिया, क्योंकि 80 पैसे की जगह 2 रूपए में एक फोटोकॉपी करवा दी। बता दें कि शिवपुरी नगर पालिका में 5 साल के दौरान पीआईसी के सदस्य बदलते रहे और उसकी गुप्त बैठक में शहर के जरूरी कार्यों को स्वीकृत करने की वजाय निजी स्वार्थ के काम स्वीकृत कर लिए। इतना ही नहीं परिषद में स्वीकृति के बिना ही उन कार्यो का भुगतान भी कर दिया गया। 5 साल में पीआईसी ने लगभग 2500 प्रकरण स्वीकृत किए, जिसमें कुल राशि लगभग 15 करोड़ खर्च भी की गई। लेकिन इसमें से किसी भी प्रकरण को परिषद ने स्वीकृत नहीं किया। इसके अलावा भी नगरपालिका पीआईसी में कुछ ऐसे मामले हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला किया गया। उनमें प्रमुख रूप से मनियर तालाब की खुदाई,शहर में नाला सफाई के अलावा स्ट्रीट लाइट की खरीदी वह केवल खरीदी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। इन मामलों को उजागर ना करते हुए पीआईसी में स्वीकृत मामलों को परिषद में स्वीकृत के लिए हर बार एजेंडे में शामिल किया गया, ताकि एक बार परिषद की मंजूरी के बाद वे सभी काम नियम अनुसार हो जाएं लेकिन उनका हर बार विरोध किया गया।
वॉक्स:-
अध्यक्ष व पीआईसी सदस्यों से हो सकती हैं बसूली: सीएमओ
इस पूरे मामले नपा सीमओ शिवपुरी कहा कि, यह बात सही है कि पीआईसी में स्वीकृत प्रस्तामों को परिषद ने मंजूरी नहीं दी, इसलिए हो सकता है कि इसमें रिकवारी हो। साथ ही यह सभी प्रस्ताव शासन के पास भी भेजे जाएंगे। वैसे परिषद की हर बैठक में मंजूरों के लिए उन्हें रखा तो गया, लेकिन अब वे मंजूर नहीं किए गए, यह अलग बात है।
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