कांग्रेस को सिंधिया परिवार तो भाजपा को मोदी लहर पर आस
बसपा उम्मीदवार कांग्रेस से अधिक भाजपा का करेंगे नुकसान
शिवपुरी। गुना शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में नाम वापस लेने की अंतिम तारीख निकल जाने के बाद मुकाबले में 13 प्रत्याशी रह गए हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा प्रत्याशी केपी यादव के बीच माना जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी का इस संसदीय क्षेत्र में अधिक प्रभाव नहीं है, लेकिन संभावना यह है कि बसपा उम्मीदवार कांग्रेस से अधिक भाजपा को नुकसान पहुुंचाने का काम करेंगे, क्योंकि बसपा उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह राजपूत किरार हैं और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कारण किरार मतदाताओं का अभी तक झुकाव भाजपा की ओर रहा है। संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस एक ओर जहां जीत के अंतर को बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ रही है वहीं भाजपा को मोदी फैक्टर के कारण चमत्कार की आस है। प्रचार मे फिलहाल कांग्रेस आगे बनी हुई है और प्रदेश सरकार के सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने अवश्य क्षेत्र में डेरा डाल दिया है, लेकिन अभी तक कांग्रेस और भाजपा क किसी बड़े नेता की सभा नहीं हुई है।
संभाग की चार सीटों में गुना में कांग्रेस फिलहाल लाभ की स्थिति में दिख रही है । इस संसदीय क्षेत्र से सिंधिया परिवार का कोई सदस्य आज तक प्रतिकूल से प्रतिकूल स्थिति में भी पराजित नहीं हुआ है। इसके बाद भी कांग्रेस और प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने क्षेत्र में पूरी ताकत लगा दी है। उन्होंने अपने सारे संसाधन झोंक दिए हैं। संभाग के सिंधिया समर्थक कार्यकर्ता गुना शिवपुरी में जमे हुए हैं । सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने स्थाई रूप से यहां डेरा भी जमा लिया है। कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले चुनाव में एक लाख 21 हजार मतों से विजयी हुए थे और उन्होंने भाजपा के महल विरोधी नेता जयभान सिंह पवैया को पराजित किया था। इस बार श्री पवैया की तुलना में भाजपा प्रत्याशी केपी यादव उतने मजबूत नजर नहीं आ रहे। साल भर पहले तक वह सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि रहे और मुंगावली विधानसभा से जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी। श्री यादव की क्षेत्र में भी व्यापक पहचान नहीं है और भाजपा कार्यकर्ता भी उनके प्रचार प्रसार में अभी जुटा नजर नहीं आ रहा। श्री यादव की उम्मीदवारी भी काफी विलंब से घोषित हुई इस कारण वह अभी तक न तो सारे मंडलों और न ही विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच पाए हैं। इस कारण कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जीत में कोई शंका नहीं है, लेकिन सिंधिया के निर्देशानुसार उनका पूरा ध्यान जीत के अंतर को बढ़ाने की ओर है । इस कारण सिंधिया समर्थक अधिकांश नेता और कार्यकर्ता अपने अपने संसदीय क्षेत्रों को छोड़कर गुना शिवपुरी में पड़े हुए हैं। इससे संभाग की अन्य सीटों पर कांग्रेस को नुकसान भी हो रहा है। जिले की दो विधानसभा सीटें पोहरी और करैरा ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में हैं और दोनों विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस विधायक हैं, लेकिन वे ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में जुटने की अपेक्षा गुना संसदीय क्षेत्र में सिंधिया के प्रचार में लगे हुए हैं। भिण्ड और मुरैना के सिंधिया समर्थक कार्यकर्ता भी संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हैं। इसके बाद भी भाजपा को भरौसा है कि इस बार संसदीय क्षेत्र के मतदाता नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए मतदान करेंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं के अनुसार सामंतवाद के खिलाफ इस क्षेत्र के मतदाताओं में आक्रोश है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में लोगों का विश्वास है और इस बार चमत्कार सुनिश्चित रूप से होगा। इस संसदीय क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का कोई खास प्रभाव नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार बघेल महज 27 हजार वोट ही बटोर पाए थे। इस बार बसपा ने लोकेंद्र सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया है। उनकी सक्रियता भी अभी तक क्षेत्र में देखने को नहीं मिल रही। संसदीय क्षेत्र में मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा प्रत्याशी केपी यादव के बीच ही नजर आ रहा है। देख्रना यह है कि क्या कांग्रेस यहां इस बार पिछले चुनाव की तुलना में अपने जीत के अंतर को बढ़ाने में सफल रहेगी अथवा मोदी लहर के कारण पहली बार इस संसदीय क्षेत्र में चमत्कार देखने को मिलेगा।
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