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जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ से कोसों दूर है आदिवासी


जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ से कोसों दूर है आदिवासी
- शासकीय कर्मचारी कागजों में ही दिला दिते हैं योजनाओं का लाभ 
-चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि पहुंच जाते हैं इनकी बस्तियों में चुनाव जीतकर नहीं देते ध्यान
कोलारस नि.प्र.। केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार जहां आदिवासियों के लिए अनेक जन कल्याणकारी योजनाओं को संचालित कर रही है परंतु वह उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं लाखों करोड़ों रुपए की योजनाएं संचालित हैं कोलारस में स्थित शासकीय विभागों में इन योजनाओं के लिए बजट भी आता है परंतु फर्जी कागजी कार्रवाई कर बजट हजम किया जा रहा है आदिवासियों के विकास के लिए आंगनवाड़ियों से लेकर स्कूल छात्रावासों सहित अन्य विभागों मैं जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा हैं। जबकि इनके बजट को अधिकारी बंदर बांट कर कागजी खाना पूर्ति कर उसे पचा लिया जाता है।
यहां बताना होगा कि आदिवासियों के कागजात लगा कर स्थानीय कुछ दबंग जनप्रतिनिधि इन शासकीय योजनाओं का दूसरे लोग लाभ उठा रहे हैं जनप्रतिनिधि भी चुनाव के समय आदिवासियों की बस्ती में पहुंचकर अनेक बातें करते हैं परंतु अधिकांश आदिवासी आज भी शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए दर-दर भटक रहे हैं और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली कुटीर तक आदिवासियों को नसीब नहीं हो सकी हैं ग्राम राई राजगढ़ टीला, गोरा टीला, कनावदा, भडोता, पचावली, लेवा, पडोरा, डांगसुआटोर मैं निवास कर रहे आदिवासी आज भी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित दिखाई दे रहे हैं बहा री सरकार आप तो योजनाओं पर योजना बना कर भेज रही हैं परंतु आप ही के साथ किए नुमाइंदे जो प्रत्येक विभाग में पदस्थ हैं वहाना तो इन आदिवासियों को योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं और ना ही लाभ दिला पा रहे हैं इसके चलते आदिवासी लोग आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए दर-दर भटक रहे हैं ग्रामों में स्थिति यह है कि आदिवासियों की राशन पर्चियां तक दबंगों के हाथों में हैं उनका राशन दुकान संचालकों के यहां पर गिरवी रखी हुई हैं जिसके चलते अधिकांश आदिवासी राशन से ही वंचित बने हुए हैं भले प्रभारी मंत्री अभी हाल ही में अंत्योदय मेले में कोलारस पहुंचे थे उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि आदिवासियों का पूरा लाभ उन्हें मिलना चाहिए। उनका राशन उन्हें दिया जाए नहीं तो कन्ट्रोल संचालकों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। इसके बाबजूद भी कन्ट्रोल मालिकों द्वारा गरीबों के राशन को डकारने में लगे हुए हैं। अब देखना यह है कि स्थानीय प्रशासन इन आदिवासियों को कितना लाभ दिला पाते हैं। या फिर इन आदिवासियों के नाम पर आने वाली शासकीय योजनाओं का लाभ दबंग राजनैतिक लोग ही लेते रहेंगे। कोलारस विधानसभा क्षेत्र में आदिवासियों की दुर्दशा बद से बदतर बनी हुई है। परंतु कोई भी उनकी ओर ध्यान नहीं दे रहा।
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