विद्युत विभाग के लिए चारागाह बनी नगर पालिका
-प्रतिमाह किया जा रहा हैं 80 लाख का भुगतान
-माह की अंतिम 26 या 27 तारीख को थमाए जाते हैं बिल और 10 मिनिट में करा लिया जाता हैं भुगतान
शिवपुरी ब्यूरो। नगर पालिका एक ऐसी संस्था जो सीधी जनता से जुड़ी हैं और इसका लाभ आम नागरिक को मिलता हैं, चाहे वह किसी भी रूप में हो लेकिन विद्युत विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस संस्था को भी इन्होंने चारागाह समझ रखा हैं, नगर पालिका द्वारा संचालिक नलकूपों एवं शहर में रोशनी के लिए लगाई गई स्ट्रीट लाईट व मड़ीखेड़ा जलावर्धन, घसारई प्लांट से संचालितमोटरों को चलाने के लिए विद्युत बिजली सप्लाई के नाम पर विद्युत बिलों की राशि का खुला लूट का खेल अनवरत रूप से चालू हैं और इस खेल में विद्युत मंडल के अधिकारी व कर्मचारियों ने इस शासकीय संस्था को खुले रूप से ठगने का काम काफी समय से किया जा रहा हैं। यहां बताना होगा कि नगर पालिका द्वारा बिजली बिल जमा करने के नाम पर एक मोटी रकम संस्था से लगभग 80 लाख रूपए का भुगतान प्रत्येक माह की 26 या 27 तारीख को नगर पालिका कार्यालय से बगैर बिल दिखाए अधिकारी एवं कर्मचारियों से विद्युत लाईट काटने की धमकी देकर तत्काल एनईएफटी के माध्यम से भुगतान करा लेते हैं। इससे बड़ी और क्या लूट होगी! दिन दहाड़े एक विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने बिलों को न तो समझने का समय देते हैं और न ही किसी अधिकारी से उसका बैरीफिकेशन कराया जाता। जबकि कोई बिल भुगतान करते हैं तो उससे पहले फाईलों का परीक्षण किया जाता हैं और समझा जाता है कि यह फाईल भुगतान करने योग्य हैं या नहीं लेकिन इस तरह का मामला पहली बार सुनने और समझने में आया है कि बिल आया नहीं की तत्काल माह की अंतिम तारीख इन बिलों को भेजकर लूटेरों की तरह तत्काल आकर भुगतान करा 10 मिनिट में रफू चक्कर हो जाते हैं। यदि विद्युत मंडल के इस कार्यनामे की बारीकी से जांच कराई जाए तो एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हो सकता हैं। जिससे नगर पालिका काफी हद तक लुटने से बचाया जा सकता हैं।
वॉक्स:-
इस तरह नपा को दिए जाते हैं विद्युत मंडल द्वारा बिल
शहर में संचालित लगभग 600 नलकूपों में से इन दिनों भले शहर में 300 नलकूप ही पानी दे रहे हो लेकिन विद्युत मंडल के अधिकारियों के कागजों में पूरे 600-600 नकूप संचालित हैं। इनके एवज में लगभग 45 लाख रूपए का भुगतान विद्युत मंडल को नगर पालिका कर रही हैं। वहीं शहर प्रत्येक नलकूप पर लगभग 8 हजार से लेकर 30 हजार रूपए तक का बिल भेजा जा रहा हैं। वहीं शहर में स्ट्रीटलाई के माध्यम से रोशनी केलिए 15 से 16 लाख रूपए का बिल भेजा जाता हैं। कहने के लिए तो शहर के 39 वार्डों में सभी विद्युत पोलों पर लाईटें लगी हैं , लेकिन चालू लाईट देखें तो 70 प्रतिशत विद्युत पोलों पर लाईट चालू दिखती बांकी अन्य लाईटें शोपीस बनी हुई हैं। क्योंकि बंद पड़ी स्ट्रीट लाईट के नाम पर विद्युत विभाग को बिजली का विल नहीं लेना चाहिए। इसी तरह मडीखेड़ा के नाम 15 लाख रूपए का बिल जमा कराया जाता हैं। वहीं घसारई प्लांट के नाम पर 7-8 लाख रूपए के बिजली बिल विद्युत मंडल को प्रदाय किए जाते हैं कुल मिलाकर 80 लाख रूपए का नगर पालिका प्रत्येक माह विद्युत मंडल को बिजली खर्च के नाम पर पैसा जमा करा रही हैं।
वॉक्स:-
अस्थाई कनेक्शन के विद्युतमंडल ने जमा कराए 14 लाख
वर्ष 2017-18 में गर्मियों के समय शहर की जनता के पानी समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर पालिका द्वारा हाईडेंट बनाए जाते हैं इनकी मोटरों को चलाने के लिए विद्युत मंडल से हवाई पट्टी एवं भदैया कुण्ड पर अस्थाई मीटर लगाकर विद्युत सप्लाई चालू की जाती हैं लेकिन इन अस्थाई कनेक्शनों के नाम पर विद्युत मंडलों के अधिकारियों ने 14 लाख रूपए की राशि जमा कराई थी। साथ ही प्रत्येक माह जो बिल आता हैं उसका भी भुगतान समय पर कराया जाता था। इसके बाद भी समय-समय पर दवाब भी दिया जाता रहा। लेकिन तभी से आज तक यह अस्थाई कनेक्शन का मीटर लगा होने के बाद भी इस वर्ष अभी हाल ही में इन 14 लाख जमा हाने के बाद भी नए सत्र में अब पुन: अस्थाई कनेक्शन की स्वीकृति के लिए 5 हजार रूपए लग से लिए जा रहे हैं। इससे बड़ी और क्या लूट होगी।
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नलकूप बंद होने के बाद बिजली बिल रहता हैं चालू
यहां बताना होगा की नगर पालिका के द्वारा शहर के 39 वार्डों में लगभग 600 नलकूप दस्तावेजों में दर्ज हैं जो चालू बताए जाते हैं, लेकिन फरवरी माह से अधिक तम नलकूप पानी छोड़ देते हैं और बंद हो जाते हैं, इसके बाद भी शहर में 40 प्रतिशत नलकूपों की यही हालत होती हैं। इसके बाद भी विद्युत मंडल के अधिकारियों द्वारा पूरे नलकूपों का बिजली का बिल थमाया जाता हैं और पूरे राशि का भुगतान भी कराया जाता हैं। यह किसी भी अधिकारी को समझ में नहीं आता हैं जब नलकूप ही बंद हैं तो फिर मोटर कहां से चलेंगी।
-प्रतिमाह किया जा रहा हैं 80 लाख का भुगतान
-माह की अंतिम 26 या 27 तारीख को थमाए जाते हैं बिल और 10 मिनिट में करा लिया जाता हैं भुगतान
शिवपुरी ब्यूरो। नगर पालिका एक ऐसी संस्था जो सीधी जनता से जुड़ी हैं और इसका लाभ आम नागरिक को मिलता हैं, चाहे वह किसी भी रूप में हो लेकिन विद्युत विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस संस्था को भी इन्होंने चारागाह समझ रखा हैं, नगर पालिका द्वारा संचालिक नलकूपों एवं शहर में रोशनी के लिए लगाई गई स्ट्रीट लाईट व मड़ीखेड़ा जलावर्धन, घसारई प्लांट से संचालितमोटरों को चलाने के लिए विद्युत बिजली सप्लाई के नाम पर विद्युत बिलों की राशि का खुला लूट का खेल अनवरत रूप से चालू हैं और इस खेल में विद्युत मंडल के अधिकारी व कर्मचारियों ने इस शासकीय संस्था को खुले रूप से ठगने का काम काफी समय से किया जा रहा हैं। यहां बताना होगा कि नगर पालिका द्वारा बिजली बिल जमा करने के नाम पर एक मोटी रकम संस्था से लगभग 80 लाख रूपए का भुगतान प्रत्येक माह की 26 या 27 तारीख को नगर पालिका कार्यालय से बगैर बिल दिखाए अधिकारी एवं कर्मचारियों से विद्युत लाईट काटने की धमकी देकर तत्काल एनईएफटी के माध्यम से भुगतान करा लेते हैं। इससे बड़ी और क्या लूट होगी! दिन दहाड़े एक विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने बिलों को न तो समझने का समय देते हैं और न ही किसी अधिकारी से उसका बैरीफिकेशन कराया जाता। जबकि कोई बिल भुगतान करते हैं तो उससे पहले फाईलों का परीक्षण किया जाता हैं और समझा जाता है कि यह फाईल भुगतान करने योग्य हैं या नहीं लेकिन इस तरह का मामला पहली बार सुनने और समझने में आया है कि बिल आया नहीं की तत्काल माह की अंतिम तारीख इन बिलों को भेजकर लूटेरों की तरह तत्काल आकर भुगतान करा 10 मिनिट में रफू चक्कर हो जाते हैं। यदि विद्युत मंडल के इस कार्यनामे की बारीकी से जांच कराई जाए तो एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हो सकता हैं। जिससे नगर पालिका काफी हद तक लुटने से बचाया जा सकता हैं।
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इस तरह नपा को दिए जाते हैं विद्युत मंडल द्वारा बिल
शहर में संचालित लगभग 600 नलकूपों में से इन दिनों भले शहर में 300 नलकूप ही पानी दे रहे हो लेकिन विद्युत मंडल के अधिकारियों के कागजों में पूरे 600-600 नकूप संचालित हैं। इनके एवज में लगभग 45 लाख रूपए का भुगतान विद्युत मंडल को नगर पालिका कर रही हैं। वहीं शहर प्रत्येक नलकूप पर लगभग 8 हजार से लेकर 30 हजार रूपए तक का बिल भेजा जा रहा हैं। वहीं शहर में स्ट्रीटलाई के माध्यम से रोशनी केलिए 15 से 16 लाख रूपए का बिल भेजा जाता हैं। कहने के लिए तो शहर के 39 वार्डों में सभी विद्युत पोलों पर लाईटें लगी हैं , लेकिन चालू लाईट देखें तो 70 प्रतिशत विद्युत पोलों पर लाईट चालू दिखती बांकी अन्य लाईटें शोपीस बनी हुई हैं। क्योंकि बंद पड़ी स्ट्रीट लाईट के नाम पर विद्युत विभाग को बिजली का विल नहीं लेना चाहिए। इसी तरह मडीखेड़ा के नाम 15 लाख रूपए का बिल जमा कराया जाता हैं। वहीं घसारई प्लांट के नाम पर 7-8 लाख रूपए के बिजली बिल विद्युत मंडल को प्रदाय किए जाते हैं कुल मिलाकर 80 लाख रूपए का नगर पालिका प्रत्येक माह विद्युत मंडल को बिजली खर्च के नाम पर पैसा जमा करा रही हैं।
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अस्थाई कनेक्शन के विद्युतमंडल ने जमा कराए 14 लाख
वर्ष 2017-18 में गर्मियों के समय शहर की जनता के पानी समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर पालिका द्वारा हाईडेंट बनाए जाते हैं इनकी मोटरों को चलाने के लिए विद्युत मंडल से हवाई पट्टी एवं भदैया कुण्ड पर अस्थाई मीटर लगाकर विद्युत सप्लाई चालू की जाती हैं लेकिन इन अस्थाई कनेक्शनों के नाम पर विद्युत मंडलों के अधिकारियों ने 14 लाख रूपए की राशि जमा कराई थी। साथ ही प्रत्येक माह जो बिल आता हैं उसका भी भुगतान समय पर कराया जाता था। इसके बाद भी समय-समय पर दवाब भी दिया जाता रहा। लेकिन तभी से आज तक यह अस्थाई कनेक्शन का मीटर लगा होने के बाद भी इस वर्ष अभी हाल ही में इन 14 लाख जमा हाने के बाद भी नए सत्र में अब पुन: अस्थाई कनेक्शन की स्वीकृति के लिए 5 हजार रूपए लग से लिए जा रहे हैं। इससे बड़ी और क्या लूट होगी।
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नलकूप बंद होने के बाद बिजली बिल रहता हैं चालू
यहां बताना होगा की नगर पालिका के द्वारा शहर के 39 वार्डों में लगभग 600 नलकूप दस्तावेजों में दर्ज हैं जो चालू बताए जाते हैं, लेकिन फरवरी माह से अधिक तम नलकूप पानी छोड़ देते हैं और बंद हो जाते हैं, इसके बाद भी शहर में 40 प्रतिशत नलकूपों की यही हालत होती हैं। इसके बाद भी विद्युत मंडल के अधिकारियों द्वारा पूरे नलकूपों का बिजली का बिल थमाया जाता हैं और पूरे राशि का भुगतान भी कराया जाता हैं। यह किसी भी अधिकारी को समझ में नहीं आता हैं जब नलकूप ही बंद हैं तो फिर मोटर कहां से चलेंगी।
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