नित्य साधना और सत्संग से संवरता है जीवन: किशोरीदास जी महाराज
शिवपुरी ब्यूरो। रामजानकी मंदिर (राठौर ट्रस्ट) झांसी तिराहा शिवपुरी पर समस्त धर्मप्रेमी बन्धुओं द्वारा संगीतमय श्रीरामकथा का आयोजन किया जा रहा है। तत्पश्चात श्रीराम कथा प्रारंभ की कथा प्रवक्ता श्री श्री 108 किशोरीदास जी महाराज (लक्ष्मीबाई) करहधाम (बेरबावड़ी) के श्रीमुख से रसपान कराते हुए कहा कि संसार का सुख अमरूद के जैसा लगता है और राम नाम आंवले की तरह लगता है। व्यर्थ में समय गंवा देते हैं परंतु राम नाम नहीं लेते। मन को समझाना ही सत्संग है, मन बड़ा चंचल होता है। नाम की साधना रोज करनी चाहिए। मोबाइल को चार्जर की आवश्यकता होती है वैसे ही मनुष्य को सत्संग की आवश्यकता। राम कथा के दौरान बताया कि सबसे पहले सन 1631 में तुलसीदास ने सत्संग की शुरुआत की थी। राम कथा के अंत में कहा कि हम संत को याद करते हैं वह बड़ी बात नहीं, संत हमें याद करें वह बड़ी बात है। यह कथा प्रत्येक दिन दोपहर 2 बजे से सांय 5 बजे तक रखा गया हैं। समस्त धर्मप्रमी बन्धुओं से कथा रसपान एव धर्मलाभ उठाने की अपील समस्त भक्त प्रेमियों द्वारा की गई हैं।
शिवपुरी ब्यूरो। रामजानकी मंदिर (राठौर ट्रस्ट) झांसी तिराहा शिवपुरी पर समस्त धर्मप्रेमी बन्धुओं द्वारा संगीतमय श्रीरामकथा का आयोजन किया जा रहा है। तत्पश्चात श्रीराम कथा प्रारंभ की कथा प्रवक्ता श्री श्री 108 किशोरीदास जी महाराज (लक्ष्मीबाई) करहधाम (बेरबावड़ी) के श्रीमुख से रसपान कराते हुए कहा कि संसार का सुख अमरूद के जैसा लगता है और राम नाम आंवले की तरह लगता है। व्यर्थ में समय गंवा देते हैं परंतु राम नाम नहीं लेते। मन को समझाना ही सत्संग है, मन बड़ा चंचल होता है। नाम की साधना रोज करनी चाहिए। मोबाइल को चार्जर की आवश्यकता होती है वैसे ही मनुष्य को सत्संग की आवश्यकता। राम कथा के दौरान बताया कि सबसे पहले सन 1631 में तुलसीदास ने सत्संग की शुरुआत की थी। राम कथा के अंत में कहा कि हम संत को याद करते हैं वह बड़ी बात नहीं, संत हमें याद करें वह बड़ी बात है। यह कथा प्रत्येक दिन दोपहर 2 बजे से सांय 5 बजे तक रखा गया हैं। समस्त धर्मप्रमी बन्धुओं से कथा रसपान एव धर्मलाभ उठाने की अपील समस्त भक्त प्रेमियों द्वारा की गई हैं।
0 Comments