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पाठक मंच की नियमित मासिक गोष्ठी सम्पन्न

पाठक मंच की नियमित मासिक गोष्ठी सम्पन्न
-वरिष्ठ साहित्यकारों ने तीन पुस्तको की समीक्षा
शिवपुरी ब्यूरो। साहित्य अकादमी भोपाल से सम्बद्ध पाठक मंच केंद्र शिवपुरी की नियमित मासिक समीक्षा गोष्ठी स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर अस्पताल चौराहा शिवपुरी में सम्पन्न हुई,जिसमे वरिष्ठ साहित्यकार लेखक प्रमोद जी भार्गब,दिनेश जी वशिष्ठ व प्रदीप अवस्थी ने नव साहित्यकारों लेखकों के बीच पुस्तको की समीक्षा प्रस्तुत की।
सर्वप्रथम ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर समीक्षा गोष्ठी आरम्भ की गई,पाठक मंच शिवपुरी के संयोजक आशुतोष शर्मा ने वरिष्ठ साहित्यकारो समीक्षकों का परिचय प्रस्तुत किया,तत्पश्चात समीक्षा के क्रम में शिवपुरी के गीतकार प्रदीप अवस्थी ने गीतों पर आधारित पुस्तक और सोच में तुम जिसके लेखक नरेंद्र दीपक है कि समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुस्तक में भय वेदना और प्रेम के गीतों का सम्मिश्रण है,मेरे पथ में शूल बिछाकर,दूर खड़े मुस्कुराने वाले या सिर्फ उन्ही का साथ हो जिनकी उम्र सिसक कर गुजरी गीतों से भावों का प्रगटीकरण किया है।बार बार गीतों को पढ़ने का मन करता है,इसी तरह कवि ने प्रेम को लंबे समय तक जिया है  अपने अंतस मन को गीतों से प्रस्तुत कवि ने किया है,नरेंद्र दीपक इतने बड़े लेखक गीतकार है उनकी लेखनी में कमी निकालना संभव  ही नही है,अंतिम गीत और सोच में तुम को ही पुस्तक का टाइटल बनाकर   प्रस्तुत किया है।
भारत के वरिष्ठ लेखक डॉ भगवान सिंह द्वारा लिखित संस्मरण पुस्तक गांव मेरा देश की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए शिवपुरी के वरिष्ठ रंगकर्मी,लेखक रचनाकार दिनेश जी वसिष्ठ ने कहा कि जब पुस्तक को मैने उठाया तब सोचा नही था कि ग्रामीण परिवेश को इतनी खूबसूरती के साथ भी प्रस्तुत किया जा सकता है,पुस्तक में महिलाओ के जीवन मजदूरों के जीवन को गुण दोष के साथ प्रस्तुत किया है।जैसे जैसे पन्नो को पलटता गया रोमांचित होता गया।लोक कलाओं,और साठ वर्ष पूर्व के मनोरंजनो के साधनों को अपने  संस्मरणों के साथ लाजबाबी के साथ लेखक ने प्रस्तुत किया है। शैक्षणिक व्यवस्था के साथ ग्राम में न के बराबर जात पात वर्ग भेद  की समस्या को वर्तमान परिवेश के साथ जोड़कर लेखक भगवान सिंह ने प्रस्तुत किया है,हमारी संस्कृति कभी किसी को नीचा दिखाने के लिए नही है बल्कि सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों में प्रगाढ़ता का माध्यम है,इस दृष्टि से सामाजिक जीवन पारिवारिक संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण पुस्तक है,पुरानी बातों को नए संदर्भ में प्रस्तुत कर लेखक ने समस्याओं के हल को ही खोजा है।
शिवपुरी के वरिष्ठ लेखक व पत्रकार प्रमोद जी भार्गब ने अपने मित्र व भारत के वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यनाथ सिंह जी द्वारा लिखित उपन्यास नींद क्यों नही आती रात भर की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि नींद क्यों नही आती रात भर ये बेचैनी से जुड़ा टाइटल है जो कि कवि ने समस्या के समाधान को खोजने में आने वाली बेचैनी से जोड़कर रखा है,शिक्षा से नही अपितु अनुभवों के आधार पर भी मन के विकारो को दूर किया जा सकता है,समाज जिन विषमताओं समस्याओं से जूझ रहा है उनकी कल्पना को प्रस्तुत किया गया है,उपन्यास का पात्र कुंदन मिस्त्री हर जगह कटाक्ष करता है क्योंकि वह मन के विकार प्रदूषण की और ध्यान आकृष्ट करता है।वैचारिक प्रधान समाज मे कम पढ़ा लिखा कुंदन मिस्त्री समस्याओं को उजागर करते हुए लेखक ने दर्शाया है।समाज को बांटने की कोशिश ज्यादा बल्कि जोड़ने की कोशिश कम हुई है व व्यावहारिक जीवन से जोड़ने का कार्य उपन्यास के माध्यम से लेखक ने किया है।समाज मे आयी गिरावट को पुस्तक के माध्यम को पूर्ण करने की और लेखक ने विचार पात्रों के माध्यम से प्रस्तुत किये है।समस्याओं से बचने जिजीविषा देने वाली आर्थिक व शैक्षणिक विसंगतियों के संकट से बचने का उपाय ये उपन्यास है। आभार प्रदर्शन विक्रम गंगोरा ने किया समीक्षा के पश्चात तिलकुट उत्सव भी मनाया गया।
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