काफी लंबे तक ऐशो आराम की जिन्दगी जीते रहे भाजपा के हारे मंत्रियों के अब बुरे हाल है। कई मंत्री ऐसे है, जिन्हें अब विधायिकी का सुख भी हासिल नहीं हो सका और वह चुनाव हार चुके है। ऐसे नेता क्या करें, पहले उनके बंगलों पर भीड रहती थी ,जो अब गायब है उनके पास कुछ गिने चुने ही छुटभैया नेता आते है वो भी इसलिये कि पार्षद के चुनाव में शायद नेताजी टिकट दिला दें।
अपने संभाग के एक हारे हुए मंत्री आजकल फेसबुक पर माउस इधर-उधर घुमाकर पुराने मित्रों की खैर खबर पूछने के प्रयास में लगे रहते है। एक एक्स मिनिस्टर ने तो दक्षिण को बाय-बाय कर बिहार की राह पकड ली है। कारण यह भी है कि उनको हार का मजा चखाने वाले बडे नेता ने उनके घर में कथा कराने का प्लान बना डाला।
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