सिंधिया के खिलाफ गुना सीट पर क्या भाजपा शिवराज सिंह को लड़ाएगी चुनाव
चार बार से जीत रहे ज्योतिरादि
त्य की घेरीबंदी के लिए भाजपा बना रही है विशेष रणनीति
शिवपुरी, गुना और अशोकनगर जिले के कार्यकर्ताओं ने भी की शिवराज को लड़ाने की मांग
शिवपुरी। सिंधिया परिवार की पंरपरागत सीट कही जाने वाली गुना लोकसभा सीट पर इस बार भारतीय जनता पार्टी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने की रणनीति बना रही है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि सोच यह है कि सिंधिया भले ही इस सीट से जीत जाएं, लेकिन उनकी घेराबंदी पूरी तरह से की जाए ताकि गुना सीट पर उनकी सक्रियता सीमित हो जाए और अन्य लोकसभा क्षेत्रों पर वह उतना ध्यान नहीं दे पाएं। बताया जाता है कि शिवपुरी, गुना और अशोकनगर जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी को सुझाव दिया है कि इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को चुनाव लड़ाया जाए। शिवराज सिंह इससे पहले वर्ष 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ राघौगढ़ से भी चुनाव लड़ चुके थे वह भले ही वहां से पराजित हो गए थे, लेकिन उन्होंने दिग्विजय सिंह को अपने क्षेत्र में सीमित कर दिया था और प्रदेश में भाजपा की सरकार सत्ता में आ गई थी।
गुना लोकसभा सीट पर सिंधिया परिवार का प्रभाव है। सिंधिया परिवार के सदस्य चाहे किसी भी दल से अथवा निर्दलीय रूप से यहां से चुनाव लड़े हों वह हमेशा विजयी रहे हैं। यही नहीं सिंधिया परिवार ने जिसे भी चुनाव लड़वाया है जीत उसकी हुई है। इस सीट से राजमाता विजयाराजे सिंधिया और स्व. माधवराव सिंधिया अनेक बार जीत चुके हैं। दोनों ही अलग-अलग दल से विजयी रहे हैं। स्व. माधवराव सिंधिया 1971 में जहां जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़कर विजयी हुए थे वहीं 1977 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद वह कांग्रेस से इस सीट पर कई बार सांसद रहे। गुना सीट पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उन आचार्य कृपलानी को चुनाव जिताया था जिन्हें जीतने के बाद भी अपने निर्वाचन क्षेत्र का नाम याद नहीं रहा था। इस सीट से 1984 में स्व. माधव राव सिंधिया ने महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को चुनाव लड़ाकर जिताया था। 2002 से इस सीट से लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं और उनकी चार बार की जीत में भाजपा के स्थानीय प्रत्याशियों से लेकर बाहरी मजबूत प्रत्याशी तक शामिल रहे हैं। 2002 में उपचुनाव में उन्होंने जहां देशराज सिंह यादव को साढ़े चार लाख मतों से पराजित किया। वहीं 2004 में वह पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला से 87 हजार मतों से जीते। 2009 में उन्होंने उस समय के कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा को ढाई लाख मतों से और 2014 की मोदी लहर में कट्टर महल विरोधी जयभान सिंह पवैया को 1 लाख 20 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। आंकड़े इस बात के गवाह है कि अभी तक इस लोकसभा क्षेत्र से कभी भी सिंधिया परिवार को मजबूत चुनौती नहीं मिल सकी है। यहीं कारण है कि भाजपा ने जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 29 में से 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था वहीं भाजपा ने लक्ष्य घटाकर 27 सीटों का कर दिया है। माना जा रहा है कि इन दो सीटों में से एक मुख्यमंत्री कमलनाथ की छिंदवाड़ा और दूसरी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुना सीट है। विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस का प्रदर्शन आशातीत रहा है। विधानसभा चुनाव के आंकड़े यदि देखें तो भाजपा को गुना, ग्वालियर, भिंड और मुरैना सीटों पर पराजय मिल रही है। ग्वालियर लोकसभा सीट पर जहां से केेंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं, कांग्रेस को डेढ़ लाख से अधिक मतों से विजय हासिल हुई। सिर्फ गुना सीट ही ऐसी रही जहां भाजपा ने कांग्रेस की तुलना में 16 हजार मतों की बढ़त हासिल की, लेकिन इसके बाद भी यह माना जा रहा है कि गुना सीट पर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए कोई संकट नहीं है। इसी कारण भाजपा गुना सीट पर सिंधिया की घेराबंदी के लिए मजबूत उम्मीदवार उतारने के लिए गंभीरता से विचार कर रही है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम प्रमुख है।
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