राम जानकी मंदिर पर राम जन्मोत्सव की कथा सुन झूम उठे श्रोता
शिवपुरी ब्यूरो। रामजानकी मंदिर (राठौर ट्रस्ट) झांसी तिराहा शिवपुरी पर समस्त धर्मप्रेमी बन्धुओं द्वारा संगीतमय श्रीरामकथा का आयोजन किया जा रहा है। तत्पश्चात श्रीराम कथा प्रारंभ की कथा प्रवक्ता श्री श्री 108 किशोरीदास जी महाराज (लक्ष्मीबाई) करहधाम (बेरबावड़ी) के श्रीमुख से रसपान कराते हुए कहा कि भगवान श्री राम के जन्मोत्सव का वृतांत का वर्णन किया। कहा कि भगवान चार रूपों में अवतरित हुए। इसमें भगवान राम के रूप में पहला अवतार थे। दूसरे भरत, तीसरे शत्रुघ्न, चौथे लक्ष्मण के रूप में अवतरित हुए। भगवान के बाल रूप में चलने को तुलसीदास ने रामचरितमानस में श्लोक से कहा कि ठुमक चलत राम चन्द्र बाजत पायलिया, जिनके चलने के दृश्य को देखकर सूर्य भगवान खुद कुछ समय तक ठहर गए। सूर्य भगवान श्री राम की लीला देखने लगे साथ ही सभी देवी-देवता अनेक रूपों में आकर भगवान श्री राम की बाल लीलाओं को देखने आयोध्या आए। वहीं आगे कथा का वर्णन करते हुए किशोरी जी ने कहा कि भगवान श्रीराम के जन्म के पांच प्रमुख कारण बताए। इसमें पहला कारण नारद मोह एवं उसका श्राप, दूसरा कारण पृथ्वी पर पाप का बढ जाना, तीसरा कारण जय विजय को सनकादि ऋिषियों का श्राप, चौथा कारण मनु, शत्रुपा की कठोर तपस्या और वरदान, पांचवा कारण राजा प्रताप भानु, और अहिमर्दन को ब्राह्मणों का श्राप। इन्ही कारणों की वजह से भगवान राम ने पृथ्वी पर नर के रूप में जन्म लिया और सांसारिक मर्यादाओं को प्रदर्शित किया। इस अवसर पर भक्तगणों द्वारा राम जन्मोत्सव भी उल्लास से मनाया गया। ऐसे पावन दृश्य को देखकर कथास्थल में कथा श्रवण करने आए श्रद्धालु गाकर-नाच भगवान श्रीराम की स्तुति की साथ ही रामचरितमानस के साथ भगवान श्री रामजी की महाआरती की।
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