शिवपुरी के 29 मीसाबंदियों की पेंशन बंद, अस्थाई तौर पर बंद करने के आदेश भी आए
- कांग्रेस सरकार मीसाबंदियों को मिलने वाली पेशन की करावएगी जांच
शिवपुरी ब्यूरो। शिवपुरी जिले के जिन 29 लोगों को मीसाबंदी के तौर पर पेंशन मिलती थी अब उसे रोकने के निर्देश मप्र की कांग्रेस सरकार ने दिए हैं। बताया जा रहा है कि कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के मीसा बंदी पेंशन योजना पर अस्थाई तौर पर बंद कर दिया है। सरकार मीसा बंदियों की जांच कराने के बाद इसे फिर से शुरू करेगी। हालांकि इस जांच में कितना समय लगेगा ये अभी साफ नहीं है। कांग्रेस की सरकार के इस फैसले से शिवपुरी जिले 29 लोग मीसाबंदी प्रभावित हुए हैं जिन्हें हर महीने पेंशन भाजपा सरकार के कार्यकाल में मिलती थी।
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शिवपुरी के इन लोगों को मिलती थी पेंशन
शिवपुरी के जिला प्रशासन से मीसाबंदियों की जो सूची मिली है उसमें महावीर प्रसाद जैन, हरिहर निवास शर्मा, अशोक शर्मा, कामता प्रसाद बेमटे, गुलाब चंद्र शर्मा, रामजीदास बंसल, गोपालकृष्ण सिंघल, घनश्याम भसीन, महेश गौतम, ओमप्रकाश शर्मा, सीताराम राठौर, लक्ष्मणदास व्यास, अशोक कुमार पांडे, विमलेश गोयल, मुन्नालाल गुप्ता, गोपालकृष्ण दंडोतिया, अनेक सिंह तोमर, लक्ष्मीनारायण गुप्ता, गोविंद प्रसाद गर्ग, शिवाजीराव सिरसे, अब्दुल रज्जाक, उत्तम चंद्र जैन के नाम शामिल हैं। इसके अलावा दो मीसाबंदी जगदीश वर्मा और हरदास गुप्ता का निधन हो गया है। साथ ही पांच लोग वह हैं जिनमें मीसाबंदी की पत्नि को पेंशन मिलती थी। इस सूची में चंद्रमोहनी गुप्ता, सवित्री देवी, भगवती देवी गोयल, मधुवाला जैन, रती जोशी शामिल हैं। इस प्रकार कुल 29 लोगों की सूची है जिन्हें पेंशन मिलती थी।
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जांच के बाद अपात्रों को किया जाएगा बाहर
बताया जा रहा है कि इस संबंध में आदेश 28 दिसंबर को जारी कर दिए गए हैं। आदेशानुसार सरकार मीसाबंदियों को मिलने वाली पेशन के संबंध में जांच करवाएगी। सरकार ऐसा लोगों को पेंशन की सूची से बाहर करेगी जो इसके सही पात्र नहीं है। कांग्रेस ने तो आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा सरकार ने अपने खास लोगों को उपकृत करने के लिए करोड़ों की फिजूलखर्ची की है। सरकार 75 करोड़ रुपये सालाना लुटा रही थी, इसको तुरंत बंद होना चाहिए।
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25 हजार रुपए मिलती थी पेंशन हर माह
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में फिलहाल 2000 से ज्यादा मीसाबंदी 25 हजार रुपए मासिक पेंशन ले रहे हैं। साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसा बंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया। बाद में पेंशन राशि बढ़ाकर 10,000 रुपए की गई। साल 2017 में मीसा बंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये की गई। इस पर सालाना करीब 75 करोड़ का खर्च आता है।
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लोकतंत्र सैनानियों की पेंशन पर रोक का आदेश असंवैधानिक
- मीसाबंदियों द्वारा कड़ा विरोध हाईकोर्ट जायेंगे
शिवपुरी ब्यूरो। हाल ही में मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने उल्टे सीधे जो आदेश जारी किए हैं उनमें मुख्य आदेश आज लोकतंत्र सैनानी (मीसाबंदियों) को प्रत्येक माह मिलने वाली पेंशन को रोकने का आदेश संबंधित बैंक कलेक्टरों एवं ट्रेजरी को जारी किया है। जो असंवैधानिक एवं भ्रम फैलाने वाला आदेश हैं। मीसाबंदी लोकतंत्र सैनानी संघ शिवपुरी ने इस का घोर विरोध किया है तथा इस आदेश को हाईकोर्ट में ले जाने की बात कहीं है। उल्लेखनीय है कि 1975 में इन्द्रागांधी सरकार ने भारत के अंदर आपातकाल लगाया था। जिसके तहत रात्रि में घर में अपने बच्चों के साथ सो रहे सामाजिक, राजनैतिक एवं कांग्रेस, जनसंघ, आरएसएस, समाजवादी, कम्युनिष्ठों को आदि रात के बाद अपनी पुलिस से सोते में उठाकर ले जाया गया तथा सालों इन लोगों को वेकसूर जेल में बंद कर परिवार एवं अपने जनों से दूर कर सालों जेल में कैद रखा। आपातकाल में कानूनी धारायें लगाकर न्यायालय के अधिकार निरस्त किए गए मीसाबंदी धारा लगाकर ऐसे हजारों लोगों को भारत वर्ष के अदर निरोध किया गया। आपातकाल की अवधी में इन लोगों को यह जानने का आधिकार नहीं था कि हमें किस अपराध में बंद किया गया हैं। मध्यभारत की राजमाता, लोकमाता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया जैसे बड़े-बड़े राष्ट्रहितैषी लोगों को भी नहीं बख्शा गया। उ.प्र. में ऐसे मीसाबंदियों को सालों बंद रहने के बाद मुलायम सिंह सरकार ने सबसे पहले पेंशन के रूप में गुजारा भत्ता दिया था। उसके अंतर्गत प्रत्येक मीसाबंदी को अपना परिवार पालने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के समकक्ष रखा था। उसके बाद 2008 में मध्य प्रदेश के समस्त मीसाबंदियों को बकायदा संविधान बनाकर शिवराज सिंह सरकार ने भी इन मीसाबंदियों को लोकतंत्र सैनानियों को पेंशन जारी की जिनमें समाजवादी, सामाजिक, कांग्रेसी, आरएसएस एवं जनसंघ के साथ-साथ हजारों बेकसूर नागरिकों को पेंशन चालू की। अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही इन लोकतंत्र सैनानियों को 2008 से प्रारंभ की गई। जिस पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं जबकि लोकतंत्र सैनानी संघ का स्पष्ट विरोध है कि यह आदेश सरासर निस्त योग हैं। अगर सरकार को इस तरह के उटपटांग आदेश जारी करने से पूर्व लोकतंत्र सैनानियों के हक में शिवराज सिंह सरकार ने बनाए गए कानून को निरस्त करने से पूर्व मध्य प्रदेश की कैबिनेट, विधानसभा और राज्यपाल की अनुमति ली जाना आवश्यक होकर गजट में प्रकाशन होना आवश्यक था। मीसा बंदियों ने इस आदेश की घोर निंदा करते निस्तर करने की मांग की हैं।
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