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विश्व विकलांग दिवस आज, ग्रामीण विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों पर नहीं है कोई सूचना

विश्व विकलांग दिवस आज, ग्रामीण विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों पर नहीं है कोई सूचना
-खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम कैसे भाग लेंगे दिव्यांग बच्चे
- सिर्फ कागजों में आयोजित हो जायेंगी प्रतियोगितायें
शिवपुरी ब्यूरो। कहने को तो पूरे विश्व में निशक्तों को सार्वजनिक क्षेत्र में प्रोत्साहित करने हेतु कई प्रकार के आयोजन किए जाते हैं जिसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग धनराशि भी आवंटित की जाती हैं जिससे दिव्यांग बच्चों की प्रतियोगिता भी ठीक से आयोजित हो सकें और दिव्यांग बच्चे प्रदेश ही नहीं देश में अपना नाम रोश कर सकें। लेकिन आज विश्व विकलांग दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम शासन द्वारा आयोजित किए जाने हेतु  शिक्षा विभाग के कर्ताधर्ताओं ने शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए न तो आज तक कोई गतिविधियां संचालित की है और  इतना ही नहीं उन्हें यह तक नहीं बताया कि आज विश्व विकलांग दिवस हैं और जिला स्तर पर खेल एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताायें आयोजित की जाना हैं। ऐसे में यह प्रतियोगिता सिर्फ और सिर्फ कागजों में ही खाना पूर्ति कर आयोजित कर ली जाएगी और बजट को बंदर बाट कर तितर वितर कर दिया जाएगा। लेकिन सवाल तो यह उठता है कि ऐसे में अपने चहते शिक्षकों के छात्रावासों को जोड़ कर उनके बच्चों को कार्यक्रम स्थल पर बुलाकर उन्हें देश ही नहीं प्रदेश में नाम पहुंचकार पूरे बजट को ठिकाने लगा दिया जाएगा। और ग्रामीण क्षेत्र के दिव्यांग बच्चे इन सब खेलों से वंचित हो जायेंगे। ऐसे दिव्यांग बच्चों की मानसिकता का कैसे पता लग सकेगा कि यह छात्र अपनी प्रतिभा को कैसे निखार पाएगें। आज शासकीय प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर में विश्व विकलांग दिवस पर जिला स्तरीय प्रतियोगितायें आयोजित होने जा रही हैं। अब देखना यह है कि इस प्रतियोगिता में ग्रामीण क्षेत्र से कितने दिव्यांग बच्चे सहभागी हो सकेंगे। 
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एक प्रशिक्षक कैसे देगा अलग-अलग दिव्यांगों को प्रशिक्षण 
दिलचस्व बात तो यह है कि प्रशासन ने दिव्यांगता की 21 श्रेणियां निर्धारित की हैं और अलग-अलग श्रेणी के दिव्यांगों को अलग-अलग चिकित्सक भी निर्धारित किए गए हैं, लेकिन शिक्षा विभाग को इन दिव्यांगों 21 श्रेणियों को बच्चों प्रशिक्षण देने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही शिक्षक तैनात किया गया हैं। जो इन्हें प्रशिक्षण देगा। ऐसे में कैसे संभव है कि सभी दिव्यांग बच्चे इन के द्वारा प्रशिक्षण सफलता पूर्वक ग्रहण कर पायेगा और जिले ही नहीं प्रदेश में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन कैसे कर पायेगा। जब उसे ठीक से प्रशिक्षण ही नहीं मिला तो उसे सिर्फ और सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में एमआरसी जो नियुक्त किए गए हैं वह सिर्फ देखने दिखाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में पहुंचते और स्टाफ रजिस्टर हस्ताक्षर कर एक मोटा टीएडीए बिल बनाकर घर वापस लौट आते हैं। यह है सिर्फ और सिर्फ निशक्त जनों को प्रशिक्षण देने का फण्डा 
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आज नि:शक्त दिवस पर विभिन्न विद्यालयों में आयोजित होना है यह प्रतियोगितायें
आज पूरे विश्व में नि:शक्त दिवस मनाना हैं और जिसके लिए पूरे विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा नि:शक्त छात्र एवं छात्राओं को प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु तैयार किया गया हैं। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर भी विभिन्न प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं। लेकिन आज जो प्रतियोगितायें आयोजित होगीं उनमें कई विद्यालयों में तो निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी तो कई विद्यालयों में मनोरंजक गतिविधयां आयोजित की जाएगी। जिनमें बच्चों कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट, रस्सा खींच प्रतियोगिता, चम्च दौड़, बॉलीबाल, हॉकी, के साथ सामर्थ प्रदर्शन जैसे विभिन्न खेल आयोजित किए जायेंगे। 
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आखिर ग्रामीण क्षेत्र से कैसे आयेंगे दिव्यांग बच्चे?
शिवपुरी जिले में आयोजित होने जा रही है दिव्यांग बच्चों की प्रतियोगिता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने क्या ग्रामीण क्षेत्र में शासकीय विद्यालयों में अध्यनरत छात्र एवं छात्राओं को शासकीय प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर तक न तो लाने ले जाने की कोई व्यवस्था की हैं ऐसे में क्या दिव्यांग बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से कैसे आ पायेंगे। गौरतलब बात तो यह है कि न तो ग्रामीण क्षेत्र में अध्ययनरत बच्चों को शिक्षकों द्वारा कोई भी प्रशिक्षण नहीं दिया गया ऐसे में यह बच्चे कैसे इन प्रतियोगिताओं में भाग ले पायेंगे। जब उन्हें किसी भी खेल के बारे में कोई जानकारी ही नहीं होगी तो यह कैसे अच्छा प्रदर्शन कर सकेेंगेें।   
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