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महिला बाल विभाग विकास द्वारा किया जा रहा है फर्जीबाड़ा

महिला बाल विभाग विकास द्वारा किया जा रहा है फर्जीबाड़ा


कोलारस नि.प्र.। कोलारस महिला बाल विकास विभाग द्वारा शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं में जमकर मनमानी की जा रही हैं। यहां पर कहने को तो महिला अधिकारी अनेक समय से पदस्थ हैं, इनके द्वारा खाओ-कमाओ की नीति अपनाई जा रही हैं। जिसके चलते यह विभाग हमेशा सुर्खियों में बना रहता हैं। बीते माह कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं की भर्ती में नियमों को सिथिल कर फर्जी तरीके से अपात्र महिलाओं की नियुक्ति कर उन्हें कार्यकर्ता और सहायिका बना डाला। जिसमें बीपीएल कार्ड तक के अंक नहीं दिए गए और यहां पर सोचने बाली बात तो यह है कि अपील करने की तारीख के ही दिन सूचना प्रसारित की गई। कोलारस अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण अंचलों में अधिकांश कार्यकर्ता से लेकर सहायिकाओं की शादी होने के बावजूद भी उनको प्रतिमाह वेतन दी जा रही हैं। आंगनबाड़ियों से पोषण आहार पूरी तरह गायब हो गया हैं। अधिकारी द्वारा वाहन दुरूपयोग किया जा रहा है और ग्रामीण अंचलों की आंगनबाड़ियों का निरीक्षण तक निरीक्षण भी नहीं किया जाता। यहां पर अधिकांश आंगनबाड़ियों पर शासन की योजनाओं का लाभ गर्भवती माताओं से लेकर नन्हे मुन्हे बच्चों को नहीं मिल पा रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्र जिनमें सोनपुरा, जूर, रामपुर, राजगढ़, बछौरिया, कनावदा, साखनोर, रामराई, राई, खरई की आंगनबाड़ियों से अधिकांश समय कार्यकर्तायें नदारद रहती हैं। 


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नहीं मिलता बच्चों को पोषण आहार 


कोलारस नगर सहित ग्रामीण अंचलों में बटने आने वाला पोषण आहार बच्चों की थालियों से गायब हो गया हैं, लेकिन कागजों में जरूर पूरी तरीके से चल रहा हैं। इस बात की जानकारी ग्रामीण लोगों ने एक शिकायती आवेदन के माध्यम से जिला कार्यालय में की हैं उनका कहना है कि केन्द्रों पर न तो बच्चों की आवाजें सुनाई देती हैं और न ही पोषण आहार इतना ही नहीं शासन द्वारा भेजे जाने वाले पौष्टिक आहर के पैकेट भी जानवरों या फिर विक्रय केन्द्रों पर बेचे जा रहे हैं। इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासनिक अमले को होने के बाद भी इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है क्योंकि यह कार्यकर्ता सीधे-सीधे स्थानीय अधिकारी से मिली भगत होने के कारण उनका वह पूरा बचाव करती हैं। 


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दबंग लोग चला रहे हैं आंगनबाड़ी केन्द्रों के समूह


ग्रामीण क्षेत्रों में यदि जानकारी ली जाए तो ग्रामीण आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जो समूह चला रहे हैं वह कहीं या तो राजनैतिक पकड़ रखते हैं या फिर महिला बाल विकास अधिकारी के संरक्षण के माध्यम से समूह को संचालित किए हुए हैं। क्योंकि यह न तो केन्द पर्र बच्चे आते हैं और न ही भोजन जब कोई वरिष्ठ अधिकारी या तो आंगनबाड़ी केन्द्र पर निरीक्षण के लिए आता है तो भोजन पहुंच जाता है या फिर किसी विशेष दिवस के दिन बच्चों की थाली भोजन दिखाई देता हैं। इस बात की पुष्टि कई ग्रामीणों ने की हैं। जबकि इन आंगनबाड़ियों के निरीक्षण के प्रत्येक सप्ताह में एक दिन सुपरबाईजर को केन्द्र जाना अनिवार्य रहता हैं लेकिन यह सुपरवाईजर घर बैठक भ्रमण सीट भर कर दे देती हैं। क्योंकि उनको प्रत्येक महिने के अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बांध दिया जाता है। 


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