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पटाखों की एमआरपी में 40 से 55 फीसदी तक की गिरावट

पटाखों की एमआरपी में 40 से 55 फीसदी तक की गिरावट
शिवपुरी ब्यूरो। अब आपको पटाखा खरीदते वक्त दुकानदार से रेट को लेकर ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। इस बार पटाखों के पैकेट पर वास्तविक अधिकतम  फुटकर मूल्य (एमआरपी) प्रिंट होकर आए हैं। यह रेट जीएसटी की वजह से प्रिंट हुए हैं क्योंकि पटाखा उत्पादक को एमआरपी के मान से ही जीएसटी देना पड़ रहा हैं। यही कारण हैं कि एमआरपी में 40 से 55 फीसदी तक की गिरावट आई है। तक की गिरावट आई है। 2017- तक पटाखा उत्पादक कई गुना अधिक एमआरपी डालकर फुटकर बाजार में भेज देते थे जिससे फुटकर दुकानदार लोगों से पटाखों पर तगड़ा मुनाफा कमाते थे, वह अब नहीं कमा पाएंगे। अभी तक पटाखों के पैकेट पर एमआरपी से वास्तविक रेट का पता ही नहीं चला पाता था। पटाखा विक्रेता ग्राहक को उनकी एमआरपी के पैसे जोड़कर 15 से 30 फीसदी तक छूट दे देता था। इससे लोगों को पटाखे महंगे मिलते थे, लेकिन केन्द्र सरकार ने पटाखों पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया। जीएसटी की वजह से वास्तविक रेट प्रिंट हुए हैं। ग्राहक चाहे तो इस बार पक्का गिल भी ले सकते हैं जो कि अभी तक अमूमन कोई नहीं लेता था। पटाखे के पैकेट पर एमआरपी के प्रिंट में भी अंतर आया है। 2018 में एमआरपी की साधारण चिट लगी रहती थी। लेकिन इस बार-बार कोड़ के साथ पूरी जानकारी लिखनी पड़ी है।
वॉक्स:-
डिब्बे पर वास्तविक एमआरपी आने से ज्यादा छूट नहीं मिल सकेगी। मार्केट में प्रतिस्पर्धा होने से दुकानदार एमआरपी पर 7 से 10 फीसदी तक छूट दे सकते हैं। दुकानदार का कहना है कि ग्राहक को आकर्षित करने के लिए छूट देनी  पड़ेगी। 
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