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जिला प्रशासन की नाक के नीचे बेशकीमती जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई जा रही है दर्जनों दुकानें

जिला प्रशासन की नाक के नीचे बेशकीमती जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई जा रही है दर्जनों दुकानें
- अतिक्रमण कारियों के हौंसले बुलंद, प्रशासन मौन, नहीं दे रहा ध्यान 
- ईदगाह की बाउण्ड्री बाल के सहारे शासकीय जमीन पर किया कब्जा
शिवपुरी ब्यूरो। जिला प्रशासन की नाक के नीचे अतिक्रमण कारियों द्वारा बेसकीमती शासकीय जमीन पर खुलेआम अतिक्रमण कर निर्माण कार्य किया जा रहा है अतिक्रमण कारियों के इतने हौंसले बुलंद है कि शासकीय जमीन पर पहले बाउण्ड्री बाल का निर्माण किया और अब उन्हीं के पीछे चुपके से दर्जनों दुकानें बना डाली जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को होने के बाद भी इन अतिक्रमण कारियों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही हैं। यहां उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि सर्वे नं. ७२७ ग्राम शिवपुरी टु.नं. २ शिवपुरी तहसील में अवैध रूप से ईदगाह मस्जिद निर्मित होने से एवं अन्य शासकीय सर्वे नम्बरान ७२६ पर खुले रूप से बाउण्ड्रीबाल कराकर अवैध निर्माण किया जा रहा हैं। जिसकी शिकायत एक आवेदन के माध्यम से अभ्यर्थी मस्तराम रावत ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री व स्थानीय विधायक यशोधरा राजे सिंधिया, ग्वालियर संभाग के आयुक्त बीएम शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिवपुरी, पुलिस अधीक्षक राजेश हिंगणकर, एवं शिवपुरी तहसीलदार कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की हैं।
जिलाधीश को दिए गए आवेदन में मस्तराम रावत ने बताया कि शिवपुरी टुकरा नम्बर २ शिवपुरी तहसील व जिला शिवपुरी म.प्र. में स्थित सर्वे नं. ७२७ शासकीय भूमि हैं परन्तु खसरा में कूटरचना करके उसमें ईदगाह दर्शाकर तथा तहसीलदार शिवपुरी के पत्र क्रमांक आ.रा. ८७/२५६८-६९ दिनांक १२.११.१९८७ के अनुसार वक्फ दर्ज किया गया, दर्शाकर अवैध रूप से कब्जा करके ईदगाह मस्जिद व बाउण्ड्री बॉल का निर्माण कर लिया गया हैं। इस संबंध में तहसीलदार शिवपुरी के पत्र क्रमांक आ.रा. ८७/२५६८-६९ दिनांक १२.११.१९८७ की प्रति में टीप अंकित की गई है कि प्रकरण का शोध किया गया और प्रकरण उपलब्ध ना होने से आवेदन वापस किया गया है ऐसी स्थिति में खसरा में कूटरचना कर ईदगाह एवं तहसीलदार शिवपुरी के पत्र क्रमांक आ.रा. ८७/२५६८-६९ दिनांक १२.११.१९८७ के अनुसार वक्फ दर्ज किया जाना स्पष्ट है। क्योंकि बिना तहसीलदार के पत्र एवं आदेश के खसरा में कूटरचना करना साजिश एवं दण्डनीय कृत्य है। उक्त शासकीय भूमि पर अवैधानिक रूप से कब्जा एवं निर्माण भी घोर आपत्तिजनक होकर कार्यवाही योग्य है। यह कि भूमि सर्वे नं. ७२७ से लगे हुए शासकीय सर्वे नं. ७२६ पर भी अवैधानिक रूप से कब्जा कर दर्जनों दुकानों का निर्माण करा दिया। जिस पर जिला प्रशासन क्यों कार्यवाही नहीं कर रहा हैं यह एक सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। जबकि भूमि सर्वे नम्बर ७६१ (जो कि पशुपालन विभाग की हैं) के भी लगभग आधे भाग पर कब्जा कर लिया गया हैं। जबकि यह भूमि पशु चिकित्सा विभाग के अधीन हैं। जिसका विभाग द्वारा भी कई बार पत्राचार किया गया लेकिन आज तक प्रशासन द्वारा यह अतिक्रमण को नहीं हटाया गया हैं। ज्ञात हो कि वक्फ को भूमि सर्वे नम्बर ७३० आबंटित की गई थी। परन्तु अन्य भूमि सर्वे नम्बरों ७२७, ७२६, ७६१ पर अवैधानिक रूप से कब्जा कर बाउण्ड्री बाल का निर्माण कर लिया गया। इस बात की जानकारी जिला प्रशासन को होने के बाद आखिर कार जिला प्रशासन इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहा हैं। जब कि अतिक्रणकारी के इतने हौंसले बुलंद हैं कि वह लगातार अतिक्रमण इस जमीन पर गलत कृत कर रहे हैं। जिलाधीश को दिए गए आवेदन में अभ्यर्थी ने जिला प्रशासन प्रकरण में निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों के विधिसम्मत दण्डात्मक कार्यवाही करने की मांग की हैं।
इनका कहना है।
करोड़ों की शासकीय जमीन पर खुलेआम अतिक्रमण कर बनाई गई अवैध रूप से दर्जनों दुकानों के बारे में अनुविभागीय अधिकारी एलके पाण्डे ने कहा कि उक्त सारा मामला उनके संज्ञान में हैं जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।  
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