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नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल गीतों पर झूम उठे श्रोता

नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल गीतों पर झूम उठे श्रोता
-नाई की बगिया में बह रही भक्ति रस की गंगा
शिवपुरी ब्यूरो। शहर के बीचों बीच स्थित नाई की बगिया में आज श्रीमद् भागवत कथा के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर वसुदेव एवं देवकी रूप में प्रदीप मेडीकल स्टोर परिवार के सदस्यों भूमिका का निर्वहन किया गया। कथा के मुख्य यजमान डॉ.रामस्वरूप शर्मा-श्रीमती रेवती(प्रदीप मेडीकल स्टोर) कथा वाचक श्री श्री 108 श्री बलरामाचार्य जी महाराज (श्रीधाम वृन्दावन वाले) जन-जन को आर्शीवाद प्रदान कर रहे हैं कथा आयोजन को लेकर महाराश्री ने धार्मिक उपदेश दिए और इस पुण्य धर्मलाभ में सपरिवार शामिल होने का आह्वान किया।
कथा वाचक श्री श्री 108 श्री बलरामाचार्य जी महाराज (श्रीधाम वृन्दावन वाले) भगवान जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव के अवसर पर घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी से हुआ एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। तभी आकाशवाणी हुई हे कंस, देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा। यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी।  कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। वसुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए।  जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल गए और उफनती यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए। वहीं पूरी मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उत्सव बड़े ही धूमधाम मनाई गई। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की गीत गुंजायमान रहे। 
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