दस करोड़ का गणवेश घोटाला उजागर
-शासन की मंशा का दुरूपयोग कर गणवेश वितरण में हो रहा हैं महा घोटाला
शिवपुरी ब्यूरो। मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रतिवर्ष कक्ष 1 से 8 तक के बच्चों को गणवेश वितरण बच्चों एवं पालकों के खातों में 400 रूपए की राशि सीधे प्रदाय की जाती रही है। इस वर्ष से राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से 33 जिलों में स्वसहायता समूहों को आत्मनिर्भर, स्वावलम्बी बनाने व रोजगार उपलब्ध कराने की महत्वकांक्षी योजना के माध्यम से गणवेश वितरण की योजना बनाई। परन्तु यह योजना शिवपुरी जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ महाघोटाले में तब्दील हो गई है। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता आशुतोष शर्मा का श्री शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को दो गणवेश के मान से 300 रूपए के हिसाब से 600 रूपए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में ढाई लाख छात्र एवं छात्राओं के लिए दिए हैं। उक्त राशि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के खाते में आ चुकी हैं। ढाई लाख विद्यार्थियों को गणवेश वितरण गुणवत्ता पूर्ण स्वसहायता समूहों के माध्यम से तय किया गया है। परन्तु वारे-वारे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तथा कथित सर्वाधिकारी के द्वारा गणवेश वितरण में अनियमित्ता वरती जा रही है।
आज एक पत्रकारवार्ता में समस्त पत्रकार वन्धुओं के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए शर्मा ने बताया कि उक्त कपड़ा जो उपयोग में गणवेश के लिए लिया जा रहा है। वह निम्न स्तर का है। शासन के द्वारा 300 रूपए एक गणवेश के लिए तय किया है। शासन ने तय किया है कि उक्त गणवेश में 33 प्रतिशत कॉटन व 67 प्रतिशत पॉलिस्टर युक्त रहेगा। परन्तु शुद्ध पॉलिस्टर की घटिया गणवेश वितरित की जा रही है। एक तरफ जहां मध्य प्रदेश शासन लोगों को आत्मनिर्भर बनाने, रोजगार देने की दिशा में कदम निरंतर बढ़ा रही है। वहीं शिवपुरी जिले में शासन की महत्वकांक्षी योजना का मजाक उड़ाया जा रहा है। गौर तलब बात यह है कि पोहरी और नरवर के कुछ सिलाई केन्द्रों को छोड़कर कहीं भी ड्रेस की सिलाई नहीं हो रही है। फिर 15 सितम्बर 2018 को निर्धारित तिथि को यह गणवेश किस प्रकार वितरित करेंगे। स्वसहायता समूहों को माध्यम बनाकर 100 प्रतिशत गणवेश वितरण करने की योजना अधिकारियों की मिली भगत में बंदरबांट भेंट चढ़ रही हैं। जो सैम्पल गणवेश में लिया गया है वह घटिया स्तर का है। 15 करोड़ रूपया शासन के द्वारा गणवेश वितरण के लिए जिले में भेजा गया है। परन्तु उक्त घटिया गणवेश के माध्यम से कम से कम 10 करोड़ का घोटाला करने की योजना हैं। श्री शर्मा ने शिवपुरी जिलाधीश से मांग की कि वह इस घटिया गणवेश की जांच करवायें जिससे दूध का दूध और पानी का पानी उजागर हो सके। श्री शर्मा ने कहा कि वह किसी पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति नहीं करते लेकिन यह मामला बच्चों से जुड़ा हुआ हैं। इसलिए इस मामले में पीछे हटने का प्रश्न ही नहीं। श्री शर्मा ने अल्टीमेटम देते हुए तीन दिवस का समय देते हुए कहा कि या तो उक्त घोटाले की निष्पक्ष जांच की जाए, दोषियों को दण्डित किया जाए अथवा वह उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे। उक्त विषय को मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री स्थानीय मंत्री के साथ-साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक भी पहुंचाया जाएगा।
-शासन की मंशा का दुरूपयोग कर गणवेश वितरण में हो रहा हैं महा घोटाला
शिवपुरी ब्यूरो। मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रतिवर्ष कक्ष 1 से 8 तक के बच्चों को गणवेश वितरण बच्चों एवं पालकों के खातों में 400 रूपए की राशि सीधे प्रदाय की जाती रही है। इस वर्ष से राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से 33 जिलों में स्वसहायता समूहों को आत्मनिर्भर, स्वावलम्बी बनाने व रोजगार उपलब्ध कराने की महत्वकांक्षी योजना के माध्यम से गणवेश वितरण की योजना बनाई। परन्तु यह योजना शिवपुरी जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ महाघोटाले में तब्दील हो गई है। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता आशुतोष शर्मा का श्री शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार के द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को दो गणवेश के मान से 300 रूपए के हिसाब से 600 रूपए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में ढाई लाख छात्र एवं छात्राओं के लिए दिए हैं। उक्त राशि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के खाते में आ चुकी हैं। ढाई लाख विद्यार्थियों को गणवेश वितरण गुणवत्ता पूर्ण स्वसहायता समूहों के माध्यम से तय किया गया है। परन्तु वारे-वारे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तथा कथित सर्वाधिकारी के द्वारा गणवेश वितरण में अनियमित्ता वरती जा रही है।
आज एक पत्रकारवार्ता में समस्त पत्रकार वन्धुओं के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए शर्मा ने बताया कि उक्त कपड़ा जो उपयोग में गणवेश के लिए लिया जा रहा है। वह निम्न स्तर का है। शासन के द्वारा 300 रूपए एक गणवेश के लिए तय किया है। शासन ने तय किया है कि उक्त गणवेश में 33 प्रतिशत कॉटन व 67 प्रतिशत पॉलिस्टर युक्त रहेगा। परन्तु शुद्ध पॉलिस्टर की घटिया गणवेश वितरित की जा रही है। एक तरफ जहां मध्य प्रदेश शासन लोगों को आत्मनिर्भर बनाने, रोजगार देने की दिशा में कदम निरंतर बढ़ा रही है। वहीं शिवपुरी जिले में शासन की महत्वकांक्षी योजना का मजाक उड़ाया जा रहा है। गौर तलब बात यह है कि पोहरी और नरवर के कुछ सिलाई केन्द्रों को छोड़कर कहीं भी ड्रेस की सिलाई नहीं हो रही है। फिर 15 सितम्बर 2018 को निर्धारित तिथि को यह गणवेश किस प्रकार वितरित करेंगे। स्वसहायता समूहों को माध्यम बनाकर 100 प्रतिशत गणवेश वितरण करने की योजना अधिकारियों की मिली भगत में बंदरबांट भेंट चढ़ रही हैं। जो सैम्पल गणवेश में लिया गया है वह घटिया स्तर का है। 15 करोड़ रूपया शासन के द्वारा गणवेश वितरण के लिए जिले में भेजा गया है। परन्तु उक्त घटिया गणवेश के माध्यम से कम से कम 10 करोड़ का घोटाला करने की योजना हैं। श्री शर्मा ने शिवपुरी जिलाधीश से मांग की कि वह इस घटिया गणवेश की जांच करवायें जिससे दूध का दूध और पानी का पानी उजागर हो सके। श्री शर्मा ने कहा कि वह किसी पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति नहीं करते लेकिन यह मामला बच्चों से जुड़ा हुआ हैं। इसलिए इस मामले में पीछे हटने का प्रश्न ही नहीं। श्री शर्मा ने अल्टीमेटम देते हुए तीन दिवस का समय देते हुए कहा कि या तो उक्त घोटाले की निष्पक्ष जांच की जाए, दोषियों को दण्डित किया जाए अथवा वह उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे। उक्त विषय को मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री स्थानीय मंत्री के साथ-साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक भी पहुंचाया जाएगा।
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