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प्रमुख अभियंता और जिलाधीश ने किया जलावर्धन योजना का निरीक्षण

प्रमुख अभियंता और जिलाधीश ने किया जलावर्धन योजना का निरीक्षण 
-शहर में फीडरमेन का कार्य शुरू कर ऑवरहेड टेंको को शीघ्र जोड़ा जाएगा
शिवपुरी ब्यूरो। कलेक्टर श्रीमती शिल्पा गुप्ता की अध्यक्षता में मड़ीखेड़ा सिंध जलावर्धन योजना के संबंध में आज जिलाधीश कार्यालय के सभाकक्ष में बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख अभियंता रमाकांत कटारे, मुख्य नगर पालिका अधिकारी सी.पी.राय सहित संबंधित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे। श्री कटारे ने बैठक में बताया कि विस्तृत कार्य योजना तैयार कर शिवपुरी वाटर सप्लाई का कार्य नवीन ठेकेदार द्वारा शुरू किया जा चुका है। मड़ीखेड़ा डूब क्षेत्र में 1.2 कि.मी. की पाईप लाइन बदलने का कार्य कल से शुरू किया जाएगा। शहर के अंदर फीडर मेन का कार्य शुरू कर ऑवरहेड टेंको को जोड़ने की कार्यवाही तीन दिन के अंदर और इंटकवेल से वाटर टीटमेंट प्लांट सतनबाड़ा पर बिजली कनेक्शन अस्थाई होने के कारण बिजली बोल्टेज की समस्या के निदान हेतु वन विभाग द्वारा लाईन डालने की अनुमति मिलने से यह कार्य भी तीन दिवस के अंदर शुरू होगा। उन्होंने बताया कि ये तीनों कार्य एक साथ संचालित किए जाएगें। बैठक में निर्णय लिया गया कि 200 मीटर लम्बाई में एम.एस.पाईप को डूब क्षेत्र के बाहर डालने का कार्य किया जाएगा। बैठक के पूर्व में कलेक्टर श्रीमती शिल्पा गुप्ता ने प्रमुख अभियंता श्री कटारे सहित अन्य अधिकारियों के साथ मड़ीखेड़ा इंटेकवेल का निरीक्षण कर संबंधितों को निर्देश दिए कि शिवपुरी में पानी पहुंचाने के कार्य में तेजी लाई जाए। इस दौरान लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री ओमहरि, नगर पालिका के कार्यपालन यंत्री शोभाराम शर्मा, महेश मिश्रा सहित संबंधित अधिकारीगण उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि गत 20-25 दिनों के क्लियर वाटर पाईप लाइन के लगभग 100 मीटर लम्बाई में वर्षा के कारण हुई क्षति के सुधार का कार्य 16 सितम्बर को पूर्ण करने के बाद रात्रि में इंटेकबेल से लगातार 05 से 06 घण्टे तक पप्प चलाने के उपरांत डब्ल्यू.टी. तक पानी पहुंच सका। जबकि सामान्यता इंटकबेल से सतनवाड़ा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचने के लिए 3 घण्टे का समय लगता था। नगर पालिका एवं कंपनी के इंजीनियरों द्वारा प्रत्येक स्तर पर निरीक्षण कर यह पाया गया कि जो रो-वाटर पाइप लाईन डूब क्षेत्र में पानी के अंदर स्थित है, उसमें ही पानी का लीकेज हुआ है। जिसके कारण वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर लगभग 12 घण्टे से अधिक पम्प चलाने के बाद 20 से 25 प्रतिशत ही पानी प्राप्त हुआ। 
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