गोवर्धन लीला सुन भक्त हुए भावविभोर
-नाई की बगिया में बह रही हैं भक्ति रस की गंगा
शिवपुरी ब्यूरो। शहर के बीचों बीच स्थित नाई की बगिया में आज श्रीमद् भागवत कथा के अवसर पर भगवान गोवर्धन पूजा के प्रसंग की कथा सुनाई गई । इस अवसर पर प्रदीप मेडीकल स्टोर परिवार के सदस्यों ने गिर्राजधरण भगवान विशेष पूजा अर्चना का निर्वहन किया। कथा के मुख्य यजमान डॉ.रामस्वरूप शर्मा-श्रीमती रेवती(प्रदीप मेडीकल स्टोर) कथा वाचक श्री श्री 108 श्री बलरामाचार्य जी महाराज (श्रीधाम वृन्दावन वाले) जन-जन को आर्शीवाद प्रदान कर रहे हैं कथा आयोजन को लेकर महाराश्री ने धार्मिक उपदेश दिए और इस पुण्य धर्मलाभ में सपरिवार शामिल होने का आह्वान किया। कथा वाचक श्री श्री 108 श्री बलरामाचार्य जी महाराज (श्रीधाम वृन्दावन वाले) गोवर्धन की कथा का प्रसंग सुनाया और कहा कि इंद्र के घमंड तोड़ने के लिए कन्हैया ने जब बृजवासियों से उनकी पूजा न करने की बात कही। इस पर इंद्र कुपित हो गए और उन्होंने बृज पर मूसलाधार वर्षा प्रारंभ कर दी। चारों ओर त्राहि-त्राहि मचने लगी। लोग कहने लगे कि कृष्ण की बात मानकर यह संकट देखने को मिले हैं। जब इसकी जानकारी कृष्ण को मिलती है तो वह गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊंगली पर उठा लेते हैं और गांव वाले उसके नीचे खड़े होकर बारिश से बच जाते हैं। इस प्रकार इंद्र का घमंड चूर हो जाता है। कथा के बाद गोवर्धन की पूजा अर्चना की।
-नाई की बगिया में बह रही हैं भक्ति रस की गंगा
शिवपुरी ब्यूरो। शहर के बीचों बीच स्थित नाई की बगिया में आज श्रीमद् भागवत कथा के अवसर पर भगवान गोवर्धन पूजा के प्रसंग की कथा सुनाई गई । इस अवसर पर प्रदीप मेडीकल स्टोर परिवार के सदस्यों ने गिर्राजधरण भगवान विशेष पूजा अर्चना का निर्वहन किया। कथा के मुख्य यजमान डॉ.रामस्वरूप शर्मा-श्रीमती रेवती(प्रदीप मेडीकल स्टोर) कथा वाचक श्री श्री 108 श्री बलरामाचार्य जी महाराज (श्रीधाम वृन्दावन वाले) जन-जन को आर्शीवाद प्रदान कर रहे हैं कथा आयोजन को लेकर महाराश्री ने धार्मिक उपदेश दिए और इस पुण्य धर्मलाभ में सपरिवार शामिल होने का आह्वान किया। कथा वाचक श्री श्री 108 श्री बलरामाचार्य जी महाराज (श्रीधाम वृन्दावन वाले) गोवर्धन की कथा का प्रसंग सुनाया और कहा कि इंद्र के घमंड तोड़ने के लिए कन्हैया ने जब बृजवासियों से उनकी पूजा न करने की बात कही। इस पर इंद्र कुपित हो गए और उन्होंने बृज पर मूसलाधार वर्षा प्रारंभ कर दी। चारों ओर त्राहि-त्राहि मचने लगी। लोग कहने लगे कि कृष्ण की बात मानकर यह संकट देखने को मिले हैं। जब इसकी जानकारी कृष्ण को मिलती है तो वह गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊंगली पर उठा लेते हैं और गांव वाले उसके नीचे खड़े होकर बारिश से बच जाते हैं। इस प्रकार इंद्र का घमंड चूर हो जाता है। कथा के बाद गोवर्धन की पूजा अर्चना की।
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